बुआ मायावती ने भतीजे आकाश के लिए जारी की गाइड लाइन
Editor : Shubham awasthi | 02 June, 2025
भारतीय राजनीति में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एक ऐसी पार्टी के रूप में जानी जाती है, जो दलितों, पिछड़ों और समाज के हाशिए पर मौजूद वर्गों के हितों की रक्षा के लिए समर्पित रही है। इस पार्टी की स्थापना कांशीराम ने की थी

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मायावती ने इसे न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत पहचान दिलाई। लेकिन हाल के वर्षों में बसपा की राजनीति में कई बदलाव देखने को मिले हैं, खासकर जब बात मायावती के भतीजे आकाश आनंद के राजनीतिक करियर की आती है। आकाश आनंद का बसपा में उतार-चढ़ाव भरा सफर और मायावती का उनके प्रति सतर्क रवैया चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में मायावती ने आकाश आनंद को फिर से नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन इस बार उन्होंने उनके लिए सख्त दिशानिर्देश और एक नई "लक्ष्मण रेखा" तय की है। इसके साथ ही, मायावती ने आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद पर भी तीखा हमला बोला, उन्हें "बरसाती मेंढक" तक कह डाला।
आकाश आनंद का उतार-चढ़ाव भरा सफर
आकाश आनंद, मायावती के भतीजे, बसपा में एक उभरते हुए युवा चेहरा हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा विदेश में हुई है, और मायावती ने उन्हें पार्टी में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर युवा पीढ़ी को जोड़ने की कोशिश की थी। आकाश को पहली बार 2017 में बसपा का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया था। उस समय मायावती ने उन्हें पार्टी का भविष्य माना और उन्हें संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी। लेकिन उनका यह पहला कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं चला। मायावती ने 2019 में आकाश को उनके "अपरिपक्व व्यवहार" और कुछ विवादास्पद बयानों के कारण नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया।
2024 में मायावती ने एक बार फिर आकाश को पार्टी में वापस लाते हुए नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी। लेकिन यह वापसी भी बिना विवाद के नहीं रही। कुछ ही महीनों बाद, मायावती ने आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में उनके लगातार बने रहने का हवाला देते हुए उन्हें फिर से सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया। इस बार मायावती ने कहा कि आकाश को अपनी परिपक्वता साबित करनी होगी। हाल ही में, जून 2025 में, मायावती ने फिर से आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया, लेकिन इस बार सख्त शर्तों के साथ मायावती ने इस बार आकाश आनंद के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तय किए हैं। उन्होंने आकाश को यह बता दिया है कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं। खास तौर पर, मायावती ने आकाश को सार्वजनिक मंचों पर बयानबाजी से बचने की सलाह दी है। हाल ही में, मायावती ने ट्वीट्स के जरिए यह संदेश दिया कि आकाश को बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के विचारों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी पूरी तन्मयता से निभानी होगी।
मायावती ने इस बार आकाश आनंद के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तय किए हैं। उन्होंने आकाश को यह बता दिया है कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं। खास तौर पर, मायावती ने आकाश को सार्वजनिक मंचों पर बयानबाजी से बचने की सलाह दी है। हाल ही में, मायावती ने ट्वीट्स के जरिए यह संदेश दिया कि आकाश को बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के विचारों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी पूरी तन्मयता से निभानी होगी।
मायावती का यह कदम उनकी सतर्कता को दर्शाता है। वह नहीं चाहतीं कि आकाश के बयान या गतिविधियां पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाएं। इसके अलावा, मायावती ने यह भी सुनिश्चित किया है कि आकाश की नई टीम उनके हिसाब से बनाई जाए, जिसमें युवा और ऊर्जावान कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाए। यह कदम बसपा को फिर से उत्तर प्रदेश की राजनीति में मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
चंद्रशेखर आजाद पर मायावती का तीखा हमला
मायावती के हालिया ट्वीट्स में आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद पर तीखा हमला बोला गया है। मायावती ने बिना नाम लिए चंद्रशेखर को "बरसाती मेंढक" कहा, जो उनके बयानों से आहत होने का संकेत देता है। चंद्रशेखर आजाद, जो नगीना से सांसद हैं और दलित वर्ग में एक उभरते हुए नेता के रूप में देखे जा रहे हैं, ने हाल ही में बसपा और आकाश आनंद को लेकर कुछ टिप्पणियां की थीं। इन टिप्पणियों को मायावती ने न केवल व्यक्तिगत हमला माना, बल्कि इसे बसपा की विचारधारा पर सवाल उठाने की कोशिश के रूप में भी देखा।
मायावती ने अपने ट्वीट्स में कहा कि बसपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो बहुजन हितों के लिए अंबेडकरवादी विचारधारा पर चलती है। उन्होंने चंद्रशेखर पर इशारों में यह भी कहा कि कुछ लोग अवसरवादी और स्वार्थी हैं, जिन्हें पार्टी में कोई जगह नहीं है। मायावती का यह बयान न केवल चंद्रशेखर को जवाब है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वह बसपा को किसी भी तरह के बाहरी प्रभाव से बचाने के लिए कटिबद्ध हैं
आकाश आनंद के सामने कई चुनौतियां हैं। पहली और सबसे बड़ी चुनौती है मायावती की अपेक्षाओं पर खरा उतरना। मायावती ने स्पष्ट कर दिया है कि आकाश को पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से समर्पित होना होगा। इसके अलावा, उन्हें पार्टी के पुराने और नए कार्यकर्ताओं के बीच संतुलन बनाना होगा।
दूसरी चुनौती है चंद्रशेखर जैसे नए नेताओं से मुकाबला। चंद्रशेखर आजाद ने दलित युवाओं के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उनकी आक्रामक शैली और सोशल मीडिया पर सक्रियता उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाती है। आकाश को न केवल पार्टी के अंदर अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी, बल्कि बाहरी नेताओं से भी मुकाबला करना होगा।
मायावती का आकाश आनंद को फिर से नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाना और चंद्रशेखर आजाद पर हमला बोलना, दोनों ही बसपा की राजनीति में एक नई दिशा की ओर इशारा करते हैं। मायावती एक बार फिर अपनी पार्टी को मजबूत करने और दलित वोट बैंक को एकजुट करने की कोशिश में हैं। आकाश आनंद के लिए यह एक बड़ा अवसर है, लेकिन साथ ही एक बड़ी चुनौती भी। मायावती की सख्ती और उनकी "लक्ष्मण रेखा" आकाश के लिए एक कठिन रास्ता तय करती है। दूसरी ओर, चंद्रशेखर आजाद पर मायावती का हमला यह दर्शाता है कि वह अपनी पार्टी की विचारधारा और वोट बैंक को किसी भी कीमत पर बचाने के लिए तैयार हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि आकाश आनंद मायावती की उम्मीदों पर खरे उतर पाते हैं या नहीं, और क्या बसपा अपनी खोई हुई ताकत को फिर से हासिल कर पाएगी।