मोदी: साहस, संघर्ष और लोकप्रियता का द्वंद्व -प्रो देव प्रकाश मिश्र।
Editor : Shubham awasthi | 18 September, 2025
नरेंद्र दामोदर मोदी भारतीय राजनीति के वह चेहरा हैं जिनकी शख़्सियत में इतिहास बदलने का साहस और आलोचना का बोझ एक साथ समाए हुए है

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उनके निर्णय साहसिक होते हैं, उनकी कार्यशैली अनुशासित और उनका राजनीतिक खेल अप्रत्याशित। परंतु हर बड़ा कदम जितनी तालियाँ बटोरता है, उतनी ही आलोचनाओं को जन्म भी देता है। यही द्वंद्व उन्हें भारतीय लोकतंत्र का सबसे चर्चित और विवादास्पद नेता बनाता है।
नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसले मोदी की निर्णायक प्रवृत्ति को सामने लाते हैं। नोटबंदी ने काले धन और नकली मुद्रा के खिलाफ जनभावनाओं को जगाया, परंतु परिणामस्वरूप आर्थिक असंतुलन और छोटे कारोबारियों की मुश्किलें भी सामने आईं। जीएसटी "एक राष्ट्र, एक टैक्स" के सपने की ओर कदम था, लेकिन इसकी जटिलता और बार-बार के संशोधन ने छोटे व्यापारियों के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कीं। यह स्पष्ट करता है कि मोदी सुधारों के लिए निडर हैं, लेकिन उनकी ज़मीनी तैयारी कई बार कमज़ोर साबित होती है।
अनुच्छेद 370 की समाप्ति मोदी की ऐतिहासिक पहचान बन गई। समर्थकों ने इसे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक माना, पर आलोचकों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया और अधिकारों के हनन पर सवाल उठाए। इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन ने जनता को एकजुट किया, गाँव-गाँव में शौचालय बने, पर रखरखाव और संसाधनों की कमी ने इस अभियान की गति धीमी कर दी।
कोविड-19 संकट में मोदी सरकार की भूमिका इस द्वंद्व को और स्पष्ट करती है। एक ओर विश्व का सबसे बड़ा और सफल वैक्सीनेशन अभियान उनकी छवि को वैश्विक स्तर पर स्थापित करता है, वहीं दूसरी लहर में ऑक्सीजन और स्वास्थ्य ढांचे की अव्यवस्था ने गहरी आलोचना को जन्म दिया।
मोदी केवल नीतियों के नेता नहीं हैं, वे चुनावी राजनीति के भी अद्वितीय खिलाड़ी हैं। जनता से सीधे संवाद की उनकी शैली, विपक्ष को लगातार असहज करने की उनकी रणनीति और अप्रत्याशित दांव उन्हें अपराजेय बना देते हैं। किंतु सत्ता का केंद्रीकरण और संवादहीनता लोकतंत्र की आत्मा—असहमति और बहस—को कमज़ोर करती प्रतीत होती है।
भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और उसका जन-आंदोलन में रूपांतरण, साथ ही "ऑपरेशन सिंदूर" जैसी सफल रणनीतियाँ, मोदी की छवि को संघर्षों और विवादों से निकालकर एक ऐसे नेता के रूप में प्रस्तुत करती हैं जो वैश्विक मंच पर भारत की आवाज़ को सशक्त करता है। यही कारण है कि वे केवल भारतीय राजनीति के खिलाड़ी नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय नेतृत्व के प्रतीक भी बनते जा रहे हैं।
अंततः, नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व साहस और संघर्ष, सफलता और आलोचना का एक अद्वितीय संगम है। वे भारत की राजनीति को नए प्रतिमान दे रहे हैं, जहाँ हर साहसी कदम भविष्य की दिशा तो तय करता है, पर आलोचना का बोझ भी साथ लेकर चलता है। शायद यही उनका सबसे बड़ा राजनीतिक परिचय है—एक ऐसा नेता जो इतिहास बदलने का जोखिम उठाता है और आलोचनाओं के बीच भी लोकप्रियता की ऊँचाइयों को छूता है।