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विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के भीतर उठे सवाल, और कांग्रेस के दिग्गज नेता पी. चिदंबरम |

Editor : Anjali Mishra | 17 May, 2025

भाजपा ने कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की टिप्पणी पर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A को लेकर बोला जोरदार हमला |

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के भीतर उठे सवाल, और कांग्रेस के दिग्गज नेता पी. चिदंबरम |

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राजनीति के गलियारों में फिर गरमाहट!

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के भीतर उठे सवाल, और कांग्रेस के दिग्गज नेता पी. चिदंबरम की ऐसी टिप्पणी जिसने खलबली मचा दी है। क्या सच में यह गठबंधन खत्म होने की कगार पर है? तो वहीं, भाजपा ने इस बयान पर करारा पलटवार करते हुए कहा राहुल गांधी के करीबी भी मान चुके हैं कि कांग्रेस का भविष्य अंधकारमय है। क्यों विपक्ष की इस मजबूती पर अब गहरा साया मंडराने लगा है, और भाजपा कैसे इसे अपने फायदे में बदल रही है।


भाजपा ने कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की टिप्पणी पर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A को लेकर जोरदार हमला बोला है। भाजपा ने कहा है कि जब राहुल गांधी के करीबी सहयोगी ही यह मानने लगे हैं कि कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है, तो यह विपक्षी गठबंधन की अंदरूनी सच्चाई उजागर करता है। दरअसल, गुरुवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने विपक्षी गठबंधन को लेकर गंभीर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि उन्हें यह यकीन नहीं है कि I.N.D.I.A गठबंधन अब भी अस्तित्व में है। भाजपा ने इस बयान को विपक्ष की हार की स्वीकृति बताया। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, “जब गठबंधन बना था तो इनका मकसद सिर्फ सत्ता में आना था, चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े। उन्होंने आरोप लगाया कि गठबंधन ने भारत विरोधी लाइन पकड़ी, प्रधानमंत्री मोदी को गालियाँ दीं और सशस्त्र बलों का मनोबल गिराया सिर्फ सत्ता के लालच में। गौरव भाटिया ने कहा कि यह गठबंधन किसी भी मूल्यों पर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्वार्थों पर आधारित था। उन्होंने कहा कि जनता ने इस ‘घमंडी गठबंधन’ को सिरे से खारिज कर दिया। भाजपा ने चिदंबरम के बयान को लेकर कांग्रेस नेतृत्व पर भी सवाल उठाए। भाटिया ने कहा कि अब कांग्रेस के नेता खुद ही मान रहे हैं कि I.N.D.I.A गठबंधन खत्म हो चुका है। इस बीच भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने गठबंधन को 'कुश्ती-दोस्ती मॉडल' बताया। उन्होंने कहा कि ये लोग मंच पर लड़ते हैं और पीछे से गले मिलते हैं इनका मकसद सिर्फ सत्ता है।


भाजपा के एक और प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने चिदंबरम के बयान को भविष्यवाणी की तरह पेश किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “चिदंबरम ने कह दिया है कि भाजपा को हराया नहीं जा सकता।” भंडारी ने यह भी कहा कि जब राहुल गांधी के करीबी ही यह मान लें कि कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है, तो बाकी दलों को भी अब आंखें खोल लेनी चाहिए। चिदंबरम की ये टिप्पणी एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में आई। 'कंटेस्टिंग डेमोक्रेटिक डेफिसिट' नामक इस पुस्तक के लेखक हैं सलमान खुर्शीद और मृत्युंजय सिंह यादव। मंच पर बोलते हुए चिदंबरम ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि विपक्षी गठबंधन उतना मजबूत है जितना समझा जा रहा है। मैं निश्चित नहीं हूं कि ये अभी भी कायम है।” भाजपा के वरिष्ठ नेता राजीव चंद्रशेखर ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस के नेता भी महसूस करने लगे हैं कि यह गठबंधन भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुका है। भाजपा महासचिव तरुण चुघ ने इसे 'भ्रष्ट नेताओं का समूह' करार दिया और कहा कि देश की जनता ने इस गठबंधन से पूरी तरह मोहभंग कर लिया है। तरुण चुघ ने कहा, “यह गठबंधन जनसेवा के लिए नहीं, बल्कि निजी फायदे और राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए बना था। जनता ने इनके इरादों को पहचान लिया।”


भाजपा नेता सैयद जफर इस्लाम ने इसे 'घमंडी गठबंधन' बताया। उन्होंने कहा कि I.N.D.I.A का कोई भविष्य नहीं है और न ही देश में कोई स्वीकार्यता।

भाजपा नेताओं का कहना है कि यह गठबंधन सिर्फ कैमरों के लिए जिंदा है, ज़मीनी हकीकत में इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिदंबरम की यह टिप्पणी विपक्षी गठबंधन के भीतर गहराते फूट और असंतोष को उजागर करती है। कई दल अब इस गठबंधन को लेकर अपने तेवर कड़े कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, कांग्रेस के भीतर चल रही अनिश्चितता और कमजोर नेतृत्व का असर इस गठबंधन की स्थिरता पर साफ दिखाई दे रहा है। विपक्षी दलों के बीच टकराव और राजनीतिक स्वार्थ के कारण जनता के बीच उनके प्रति विश्वास धीरे-धीरे कम होता जा रहा है, जिसका फायदा भाजपा को मिल रहा है। दूसरी ओर भाजपा ने अपने संगठन को मजबूत करते हुए सभी मोर्चों पर विपक्ष के खिलाफ सघन प्रचार अभियान तेज कर दिया है, जिससे उन्हें राजनीतिक बढ़त मिल रही है। भाजपा के रणनीतिकारों का दावा है कि विपक्षी गठबंधन की यह आंतरिक लड़ाई अगले चुनाव में उनकी जीत को और सुनिश्चित करेगी। इसके साथ ही भाजपा की ओर से यह भी कहा जा रहा है कि वे विकास और जनकल्याण की अपनी नीतियों को जनता तक पहुंचाने में लगे रहेंगे, जबकि विपक्ष अपने झगड़ों में उलझा रहेगा। चिदंबरम के बयान के बाद विपक्षी दलों में नाराजगी भी देखने को मिली है। कुछ नेताओं ने कहा कि यह बयान विपक्ष के एकजुट प्रयासों को कमजोर करने की कोशिश है। लेकिन राजनीतिक समीक्षक कहते हैं कि विपक्ष को इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए अपनी कमजोरियों को पहचानकर, एकजुट होकर नयी रणनीति बनानी होगी, नहीं तो 2024 के चुनाव में उनकी हार तय है।

अब सवाल उठता है| क्या वाकई चिदंबरम का बयान विपक्ष के भीतर बिखराव का संकेत है? और क्या 2024 के बाद 2029 की दिशा भी तय हो चुकी है? जवाब देगा आने वाला समय लेकिन संकेत तो साफ हैं।