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अप्रैल महीने से अटके पड़े हैं भुगतान, और वजह है आधार का बैंक खातों से लिंक न होना।

Editor : Anjali Mishra | 11 May, 2025

सरकार ने 5 से 15 मई तक सभी बैंकों में विशेष शिविर का आयोजन|

अप्रैल महीने से अटके पड़े हैं भुगतान, और वजह है आधार का बैंक खातों से लिंक न होना।

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मंईयां सम्मान योजना में सामने आई है एक चौंकाने वाली गड़बड़ी

जहां एक तरफ सरकार बेटियों और माताओं को सम्मान देने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ जिम्मेदार सिस्टम की लापरवाही से लाभार्थियों के हाथ से फिसल रही है उनके हक की रकम।

वार्ड सदस्यों को अब लौटानी पड़ेगी मंईयां सम्मान योजना की राशि।

अप्रैल महीने से अटके पड़े हैं भुगतान, और वजह है आधार का बैंक खातों से लिंक न होना।


सम्मान की योजना बनी शर्मिंदगी का कारण।मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना जो झारखंड की माताओं और बहनों को सशक्त बनाने की पहल थी, आज खुद सवालों के घेरे में है।घोटाले, फर्जी लाभार्थी, आधार लिंक न होने से रोका गया भुगतान और अब योजना के दायरे में घुसे वार्ड सदस्य।

गम्हरिया प्रखंड के ईटागढ़, मुड़िया और दुग्धा पंचायतों में लगे शिविरों में जब लाभार्थियों की जांच शुरू हुई, तो सामने आए हैरान कर देने वाले तथ्य।

वार्ड सदस्य जो खुद जनप्रतिनिधि हैं, वही मंईयां सम्मान योजना का लाभ ले रहे थे।

यहां लगे शिविर में जांच हुई, और चौंकाने वाला खुलासा हुआ कई वार्ड सदस्य खुद को लाभुक दिखाकर पैसा ले रहे थे।


 BDO देवेंद्र कुमार दास ने बयान

सभी लोगों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है, और उन्हें राशि लौटाने का निर्देश दिया गया है।

मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं को सम्मान राशि दी जाती है ।मगर शर्त है कि बैंक खाता आधार से लिंक होना चाहिए।धनवार प्रखंड में 4055 लाभुकों को 7500 रुपये दिए गए।लेकिन अप्रैल 2025 से भुगतान इसलिए रुक गया क्योंकि हजारों लाभार्थियों का खाता अब तक आधार-सीडिंग नहीं हुई।अर्थात आधार से लिंक ही नहीं हैं।सभी लाभुकों को जल्द से जल्द अपने बैंक खाते को आधार से लिंक करना चाहिए, नहीं तो भुगतान नहीं होगा।

सरकार ने 5 से 15 मई तक सभी बैंकों में विशेष शिविर का आयोजन किया है।जहां महिलाएं लाइन में लगी हैं,इस उम्मीद में कि अब उनके खाते में पैसा आएगा।


प्रखंड प्रमुख गौतम सिंह ने कहा

हमारे लिए यह सिर्फ योजना नहीं, गरीब महिलाओं का हक है इसे सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।

जिन वार्ड सदस्यों से योजना की राशि लौटाने को कहा गया, उन्होंने विभाग के निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताई है।

उनका कहना है कि वे भी गरीब परिवारों से आते हैं, और योजना का लाभ लेना उनका हक है।

 वहीं वार्ड सदस्य ने कहा हमने कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया। सरकार को दोबारा सोचने की जरूरत है।


बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी

योजना में घुसपैठियों के नाम जुड़ने का आरोप लगाया है।

उनका कहना है कि घाटशिला, गुड़ाबांदा जैसे आदिवासी क्षेत्रों में मुस्लिम महिलाओं के नाम शामिल हैं जबकि वहां मुस्लिम परिवार ही नही हैं।ये घुसपैठिए बांग्लादेश से आए हैं, फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर गरीबों का हक छीन रहे हैं। सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

सामाजिक सुरक्षा कोषांग का कहना है कि मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना पूरी तरह से नियमों के तहत चल रही है।

सभी भुगतान सिर्फ आधार सीडेड खातों में ही होंगे।


विभागीय अधिकारी ने कहा 

हम हर लाभुक को समय से राशि देना चाहते हैं, लेकिन नियमों का पालन करना जरूरी है।

लेकिन वहीं महिलाओं और आम नागरिकों का कहना है कि पिछले महीने से पैसा नहीं आया, बैंक वाले कहते हैं आधार लिंक नहीं है।हम पढ़े-लिखे नहीं हैं, कोई मदद नहीं करता।

आंगनबाड़ी सेविका का कहना है कि हम कोशिश कर रहे हैं कि हर महिला बैंक तक पहुंचे और उसका खाता अपडेट हो।

अब विभाग पंचायत सचिवों, सेविकाओं, सहिया और स्वयं सेवकों की मदद से लाभुकों को बैंक तक पहुंचाने की व्यवस्था कर रहा है।सभी पंचायतों में सूचना पट पर नामों की सूची ली जा रही है।5 से 15 मई विशेष बैंक कैंप चल रहा है।आधार लिंक के बाद ही पुनः भुगतान किया जाएगा।

जब झारखंड सरकार ने मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की शुरुआत की थी, तो इसका मकसद था। माताओं और बहनों को आर्थिक संबल देना, खासकर ग्रामीण इलाकों में। लेकिन अब जब वार्ड सदस्य, घुसपैठिए और फर्जी दस्तावेज़धारी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं, तो सवाल उठता है क्या योजना के मूल उद्देश्य से भटक गई है सरकार?


जानकारों का कहना

वार्ड सदस्यों का लाभार्थी बनना सिर्फ व्यक्तिगत लालच नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर सिस्टम की नाकामी भी दिखाता है। कई जगह बिना दस्तावेज सत्यापन के नाम जुड़वा दिए गए। क्या यह अधिकारियों की लापरवाही है, या फिर जानबूझकर की गई अनदेखी?


सूत्र बताते हैं कि

कई पंचायतों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर योजना में अपनों के नाम जुड़वाए। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या यह "मंईयां सम्मान योजना" के नाम पर "राजनीतिक मेहरबानी योजना" बन गई है?


वार्ड सदस्यों पर तो कार्रवाई हो रही है, लेकिन इस प्रक्रिया में शामिल रहे अधिकारी जैसे पंचायत सचिव, डेटा ऑपरेटर या बैंकिंग मित्र क्या उनसे भी जवाबतलबी होगी? अब तक किसी भी विभागीय कर्मी पर स्पष्ट कार्रवाई नहीं की गई है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इस योजना को लेकर विपक्षी दलों ने भी सरकार पर हमला बोला है। भाजपा प्रवक्ताओं ने कहा है कि सरकार सिर्फ वोट बैंक के लिए योजनाएं चला रही है, और उनकी मॉनिटरिंग नहीं हो रही। कांग्रेस ने भी पारदर्शिता की मांग की है।

यह मामला सिर्फ मंईयां सम्मान योजना तक सीमित नहीं है झारखंड की कई योजनाओं में दस्त है।

तो क्या वाकई मंईयां सम्मान योजना माताओं का सम्मान बन पाएगी? या फिर यह योजना भी बाकी योजनाओं की तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगी?

हमारी यही अपील है सरकार सख्ती करे, लेकिन पारदर्शिता भी बनाए रखे।