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उपचुनाव: म‍िल्कीपुर में ट्रंप कार्ड साबित होंगे ब्राह्मण और यादव वोटर्स, कल है मतदान

Editor : Manager User | 04 February, 2025

जातिगत समीकरणों की बात करें तो मिल्कीपुर में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है। सपा और भाजपा दोनों दलों ने पासी जाति का प्रत्याशी उतारा है। अनुसूचित जाति के मतदाताओं में बंटवारा होने की स्थिति में पिछड़े वर्ग में यादव मतदाता और अगड़ा वोट खासकर ब्राह्मण ट्रंप कार्ड बन सकते हैं। इनका समर्थन पाने के लिए सपा और भाजपा में होड़ है। सियासी प

उपचुनाव: म‍िल्कीपुर में ट्रंप कार्ड साबित होंगे ब्राह्मण और यादव वोटर्स, कल है मतदान

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मिल्कीपुर का क्या है सियासी समीकरण? 

क्या अपनों ने समाजवादी पार्टी के लिए खड़ी कर दी हैं मुश्किलें

या फिर अयोध्या की तरह मिल्कीपुर भी चूक जाएगी बीजेपी?

पासी वर्सेस पासी की इस लड़ाई में आखिर कौन मारेगा बाजी?

सिर्फ एक दिन बचे हैं क्या रातों रात पलटेगी यहां की सियासत?

अयोध्या जैसा इतिहास रचेगी सपा या अयोध्या का बदला भाजपा चुका पाएगी


मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए प्रचार का शोर थम चुका है। आज पोलिंग पार्टियों की रवानगी होगी। पांच फरवरी को मतदान और आठ फरवरी को मतगणना होगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर यहां बाजी कौन मारेगा। लड़ाई बीजेपी और सपा में है। लेकिन आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी के मैदान में उतरने से मुकाबला कहीं न कहीं त्रिकोणीय भी है। 


जातिगत समीकरणों की बात करें तो मिल्कीपुर में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है। सपा और भाजपा दोनों दलों ने पासी जाति का प्रत्याशी उतारा है। अनुसूचित जाति के मतदाताओं में बंटवारा होने की स्थिति में पिछड़े वर्ग में यादव मतदाता और अगड़ा वोट खासकर ब्राह्मण ट्रंप कार्ड बन सकते हैं। इनका समर्थन पाने के लिए सपा और भाजपा में होड़ है। सियासी पंडित भी मान रहे हैं कि जिस तरफ यादव और ब्राह्मण वोट जाएगा, जीत उसकी सुनिश्चित है। 


कोर वोटर के रूप में यादव जहां सपा की तरफ जा सकते हैं वहीं ब्राह्मण बीजेपी की तरफ जाएगा। लेकिन बीजेपी ने यहीं पर अपर्णा यादव का दांव चलकर यादव वोटर्स में सेंध लगाने की कोशिश की है। अगर थोड़े बहुत भी यादव वोटर बीजेपी के पाले में आए तो बीजेपी के लिए यहां रण आसान हो जाएगा। 


यादव और ब्राह्मण दोनों वर्ग के मतदाताओं की अहमियत इससे भी समझी जा सकती है कि आरक्षित होने से पहले वर्ष वर्ष 1967 से लेकर वर्ष 2007 तक यहां से चार बार ब्राह्मण और नौ बार यादव यहां जीत दर्ज कर चुके हैं। 


मिल्कीपुर के कोर मतदाताओं को साधने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर में अब तक हुए दोनों उपचुनाव के विजेता रुदौली विधायक रामचंद्र यादव को पिछड़े वर्ग विशेषकर यादव मतदाताओं में सेंधमारी का जिम्मा दिया तो वहीं प्रमुख ब्राह्मण चेहरे पूर्व विधायक इंद्रप्रताप तिवारी खब्बू को ब्राह्मण मतदाताओं को सहेजने का दायित्व सौंपा है। इसके अलावा भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी के रहने वाले आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु, खाद्य व रसद राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा, मेयर महंत गिरीश पति त्रिपाठी, प्रथम महापौर रिषिकेश उपाध्याय सहित कई ब्राह्मण विधायक मैदान में उतार दिए। 


उधर, सपा भी पीछे नहीं है। पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडेय, पूर्व विधायक जयशंकर पांडेय, विधायक बैजनाथ दुबे जनसंपर्क करने में जुटे हैं तो नेता प्रतिपक्ष माताप्रसाद पांडेय भी मिल्कीपुर के रण में उतर चुके हैंय़ सपा की तरफ से पूर्व मंत्री आनंदसेन यादव को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिम्मेदारी दी है। बाराबंकी सदर के विधायक सुरेश यादव सहित दर्जनभर विधायक भी समर्थन जुटाने में जुटे हैं।


मिल्कीपुर सीट नाक की लड़ाई भी बनी हुई है। इस सीट पर चुनाव को सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस सीट पर जीत हार 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए भी बड़ा संकेत देगी। यही वजह है कि दोनों पार्टियां किसी भी कीमत पर यहां जीत दर्ज करना चाहती हैं। बीजेपी के लिए तो यह सम्मान की लड़ाई है। अयोध्या हारने के बाद बीजेपी बिल्कुल नहीं चाहेगी कि मिल्कीपुर सीट पर उसे हार मिले। यही वजह है कि यहां मुकाबला बेहद ही दिलचस्प हो चला है। 


हालांकि मिल्कीपुर में सपा को पटखनी देना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. इस सीट पर अब तक हुए 17 चुनाव (दो उपचुनाव भी शामिल) में सबसे ज्यादा 5 बार सपा जीती है. वहीं बीजेपी को केवल दो बार ही जीत मिली. मिल्कीपुर का किला भेदने के लिए सबसे बड़ा फैक्टर यहां के जातीय समीकरण है. यही वजह है कि बीजेपी ने बाबा गोरखनाथ की जगह दलित समाज से आने वाले चंद्रभान पासवान को टिकट देकर बड़ा दांव चला है. 


अब चलिए जान लीजिए मिल्कीपुर के जातीय समीकरण क्या हैं। मिल्कीपुर में पासी समाज सबसे ज्यादा है. यहां 55 हजार पासी, 1 लाख 20 हजार अन्य दलित (कोरी व अन्य) हैं. इसके अलावा 55 यादव वोटर हैं. ब्राह्मण वोटर 60 हजार, ठाकुर 20 हजार और ओबीसी वोटर 50 हजार हैं।

तो कुल मिलाकर मिल्कीपुर के रण पर पूरे देश की निगाहें हैं। कल मतदान है।