योगी आदित्यनाथ का पॉडकास्ट बयान: 2027 में मुख्यमंत्री पद को लेकर बड़ा दावा, यूपी की सियासत में हलचल
Editor : Manish chaurasia | 27 March, 2025
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हालिया पॉडकास्ट बयान की, जिसमें उन्होंने 2027 में मुख्यमंत्री पद को लेकर एक सनसनीखेज दावा किया है। सीएम योगी ने कहा, "मैं ही क्यों, भाजपा का कोई भी सदस्य मुख्यमंत्री बन सकता है।" इस बयान ने यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया है। क्या यह बयान यूपी की सियासत में बदलाव का संकेत देता है?

Source or Copyright Disclaimer
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हालिया पॉडकास्ट बयान की, जिसमें उन्होंने 2027 में मुख्यमंत्री पद को लेकर एक सनसनीखेज दावा किया है। सीएम योगी ने कहा, "मैं ही क्यों, भाजपा का कोई भी सदस्य मुख्यमंत्री बन सकता है।" इस बयान ने यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया है। क्या यह बयान यूपी की सियासत में बदलाव का संकेत देता है? क्या यह भाजपा की भविष्य की रणनीति का हिस्सा है?
पॉडकास्ट में क्या बोले योगी आदित्यनाथ?
हाल ही में न्यूज एजेंसी ANI के साथ एक पॉडकास्ट में योगी आदित्यनाथ ने कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। जब उनसे सवाल किया गया कि क्या वह 2027 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे, तो उनका जवाब था, "नहीं, मैं ही क्यों बन सकता हूं? भारतीय जनता पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री बन सकता है।" इस बयान ने तुरंत सुर्खियां बटोरीं और राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।
इसके अलावा, योगी ने यूपी में मुसलमानों की सुरक्षा, बुलडोजर जस्टिस और वक्फ बोर्ड संशोधन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, "यूपी में मुसलमान सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं। अगर हिंदू सुरक्षित हैं, तो मुसलमान भी सुरक्षित हैं।" बुलडोजर जस्टिस पर तंज कसते हुए वे बोले, "जो जिस भाषा में समझना चाहता है, उसे उसी भाषा में समझाना चाहिए।" वहीं, वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, "वक्फ के नाम पर क्या एक भी वेलफेयर का काम हुआ है?"
इन बयानों से साफ है कि योगी अपनी सख्त छवि और हिंदुत्व की राजनीति पर कायम हैं। लेकिन उनका मुख्यमंत्री पद वाला बयान सबसे ज्यादा चर्चा में रहा, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
बयान के पीछे क्या हैं संभावित मायने?
योगी आदित्यनाथ का यह कहना कि "भाजपा का कोई भी सदस्य मुख्यमंत्री बन सकता है," कई संभावनाओं की ओर इशारा करता है। राजनीतिक जानकार इसे अलग-अलग नजरिए से देख रहे हैं:
संगठन की ताकत का संदेश: यह बयान भाजपा की उस संस्कृति को रेखांकित करता है, जहां संगठन सर्वोपरि है और कोई भी कार्यकर्ता शीर्ष पद तक पहुंच सकता है। यह पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बढ़ावा देने का संकेत हो सकता है।
नेतृत्व के विकल्प खुले रखने की रणनीति: 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी नेतृत्व के विकल्पों को खुला रखना चाहती हो, ताकि पार्टी में एकजुटता बनी रहे और कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा रहे।
दिल्ली या गोरखपुर की ओर इशारा?: कुछ लोग इसे योगी के भविष्य के संकेत के तौर पर देख रहे हैं। क्या वह दिल्ली की राजनीति में कदम रखने की तैयारी कर रहे हैं या गोरखपुर मठ लौटने की अपनी पुरानी बात को दोहरा रहे हैं?
पिछले दिनों बीजेपी विधायक श्याम प्रकाश के बयान ने भी इस चर्चा को हवा दी थी। उन्होंने कहा था, "बाबा दिल्ली जाएं और केशव प्रसाद मौर्य कमान संभालें।" हालांकि, बाद में विधायक ने सफाई दी, लेकिन सवाल उठने लगे कि क्या योगी की सियासी यात्रा में कोई नया मोड़ आने वाला है? योगी खुद कई बार कह चुके हैं कि उनका दिल्ली जाने का कोई इरादा नहीं है और गोरखपुर मठ लौटना उनके लिए ज्यादा सुखद है।