पाकिस्तान में अब एक नया भूचाल,मीर यार बलूच की आज़ादी की घोषणा|
Editor : Anjali Mishra | 16 May, 2025
बलूच लिबरेशन फ्रंट, मीर यार बलूच, और बलूच यकजेहती समिति एक साथ उठकर पाकिस्तान पर गंभीर आरोप|

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बलूचिस्तान की ज़मीन फिर से काँप उठी है लेकिन इस बार गोलियों की गूंज नहीं, आज़ादी की दहाड़ सुनाई दे रही है| पाकिस्तान में अब एक नया भूचाल आ चुका है, जिसकी गूंज बलूचिस्तान की पहाड़ियों से बाहर निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँच चुकी है। बलूच लिबरेशन फ्रंट, मीर यार बलूच, और बलूच यकजेहती समिति एक साथ उठकर पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं | जबरन गायबियां, फर्ज़ी एनकाउंटर, और विदेशों में लक्षित हत्याओं के आरोप। इन आरोपों के बीच बलूचिस्तान ने खुलेआम आज़ादी का एलान कर दिया है। क्या यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा अंदरूनी संकट है? क्या दुनिया अब बलूचों की पुकार सुनेगी? और क्या भारत के बयान ने इस संघर्ष को नया मोड़ दे दिया है?
बलूचिस्तान एक बार फिर सुलग रहा है।पर इस बार सिर्फ़ अंदर ही नहीं, दुनिया तक उसकी गूंज पहुँच रही है। बलूच लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख नजर बलूच ने पाकिस्तान की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए बलूचिस्तान में हो रहे संगठित अत्याचारों पर खुलकर हमला बोला है। उन्होंने बलूचों के संघर्ष को "पाकिस्तानी कब्जे के खिलाफ वैध आज़ादी की लड़ाई" करार दिया और इसे दुनिया के अन्य स्वतंत्रता आंदोलनों के समकक्ष बताया। नजर बलूच ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सेना बलूच विद्रोह को बदनाम करने के लिए झूठे नैरेटिव और मनगढ़ंत कहानियों का सहारा लेती है। उन्होंने बलूच लड़ाकों पर निर्दोषों को निशाना बनाने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पाकिस्तान पर अफगानिस्तान में आईएस जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन देने और विदेशों में बलूच असंतुष्टों की लक्षित हत्याओं को अंजाम देने का आरोप लगाया।
उन्होंने खास तौर पर करीमा बलूच और साजिद हुसैन की रहस्यमयी मौतों के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की ओर इशारा किया और संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, भारत, ईरान, अफगानिस्तान और अन्य देशों से ISI को आतंकी संगठन घोषित करने की अपील की। फहद लेहरी की हत्या से उबल उठा बलूचिस्तान बलूचिस्तान की धरती से एक और खौफनाक कहानी सामने आई है। दस दिन पहले अगवा किए गए छात्र फहद लेहरी का गोलियों से छलनी शव उसी इलाके से बरामद हुआ, जहां से उसका अपहरण किया गया था। इस दिल दहला देने वाली घटना ने बलूचों के जख्मों को और गहरा कर दिया है। बलूच यकजेहती समिति ने इसे अलग घटना नहीं, बल्कि बलूचों की आवाज़ को कुचलने के लिए जारी एक व्यापक सैन्य अभियान का हिस्सा बताया। प्रवक्ता ने साफ कहा, “ना कोई गिरफ्तारी वारंट, ना कोई कानूनी कार्यवाही फहद का एकमात्र अपराध ये था कि वह बलूच था।”
बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है|
मीर यार बलूच की आज़ादी की घोषणा बलूच नेता मीर यार बलूच ने ऐतिहासिक बयान देते हुए बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा की। दशकों से जारी हिंसा, जबरन गायबियां और मानवाधिकार उल्लंघनों का जिक्र करते हुए उन्होंने साफ कहा, “बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है।” उन्होंने भारत और वैश्विक समुदाय से आज़ादी की इस वैध मांग का समर्थन करने की अपील की और एक्स (X) पर लिखा “बलूचिस्तान के लोगों ने अपना फैसला दे दिया है, अब दुनिया को चुप नहीं रहना चाहिए।” मीर यार बलूच ने खासतौर पर भारतीय नागरिकों, पत्रकारों, यूट्यूबरों और बुद्धिजीवियों से अपील की कि वे बलूचों को "पाकिस्तान के अपने लोग" कहना बंद करें। पाकिस्तान का झूठा दावा, कोई दस्तावेज नहीं|
पाकिस्तान लंबे समय से बलूचिस्तान के अपने हिस्से होने का दावा करता रहा है, लेकिन मीर यार बलूच के अनुसार, 27 मार्च 1948 को बलूचिस्तान के पाकिस्तान में विलय का कोई अंतरराष्ट्रीय या कानूनी दस्तावेज पाकिस्तान अब तक पेश नहीं कर सका है। बलूचिस्तान में लंबे समय से हो रहे मानवाधिकार हनन, जबरन गायबियां, न्यायेतर हत्याएं और विरोध की आवाजों को कुचलना, अब अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन रहा है। गुलाम जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत के कदम का समर्थन बलूचिस्तान के आज़ादीपंथी नेता मीर यार बलूच ने भारत द्वारा 14 मई 2025 को पाकिस्तान से गुलाम जम्मू-कश्मीर खाली करने की मांग का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान ने ध्यान नहीं दिया, तो एक बार फिर ढाका जैसी शर्मनाक पराजय उसका इंतजार कर रही है। उन्होंने लिखा“भारत सक्षम है पाकिस्तानी सेना को हराने में। अगर पाकिस्तान ने होश नहीं संभाला, तो पाक जनरल ही इस रक्तपात के लिए ज़िम्मेदार होंगे।”
नोश्की में चार ट्रक ड्राइवरों की हत्या
बलूचिस्तान की अस्थिरता लगातार बढ़ती जा रही है। नोश्की जिले के गलांगूर क्षेत्र में अज्ञात बंदूकधारियों ने चार ट्रक ड्राइवरों का अपहरण कर उनकी निर्मम हत्या कर दी। सरकारी प्रवक्ता शाहिद रिंद के अनुसार, घटना मंगलवार रात हुई और अब तक किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है। बलूचिस्तान की जमीनी हकीकत अब सतह पर आ चुकी है। संघर्ष, बलिदान और दमन के बीच, बलूच अब दुनिया से सिर्फ हमदर्दी नहीं, सक्रिय समर्थन मांग रहे हैं।
क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनकी आवाज़ सुनेगा?
या फिर एक और भूभाग अंधेरे में दम तोड़ता रहेगा?