आज के दिन ही मोर को मिला था राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा, जानिए उसके बारे में सबकुछ
Editor : Manager User | 01 February, 2025
माधवी कृष्णन ने 1961 में लिखे अपने एक आर्टिकल में कहा था कि भारतीय वन्य प्राणी बोर्ड की ऊटाकामुंड में बैठक हुई थी। इस बैठक में सारस क्रैन, ब्राह्मिणी काइट, बस्टार्ड, और हंस के नामों पर भी चर्चा हुई थी। लेकिन इन सब में मोर का नाम चुना गया। दरअसल इसके लिए जो गाइडलाइन्स बनाई गई थीं उनके अनुसार राष्ट्रीय पक्षी घोषित किए जाने के लिए उस पक्षी का दे

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भारतीय मोर को आज के ही दिन यानी 1 जनवरी 1963 को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा मिला था। मोर उन कई मूल प्रजातियों में से एक है जिसका वर्णन 18 वीं सदी में लिनिअस द्वारा किए गए काम सिस्टम नेचर में था और यह अभी तक अपने मूल नाम पावो क्रिस्टेटस से जाना जाता है। लैटिन जीनस नाम पावो और ऐंगलो-सैक्शन पवे उनके मूल से ही इसके प्रतिध्वनित होने का विश्वास है और सामान्यतः पक्षी की आवाज के आधार पर होता है। प्रजाति का नाम क्रिस्टेटस इसकी शिखा को संदर्भित करता है।
प्रारंभिक रूप से लिखित अंग्रेजी शब्द में इसका उपयोग 1300 प्रकार से हुआ है और इसकी वर्तनी में पेकोक, पेकोक, पेकोक्क, पाकोच्के, पोकोक्क, प्य्च्कोक्क, पौकोक्क, पोकॉक, पोकोक, पोकोक्के और पूकोक भिन्न प्रकार के शब्द शामिल हैं। वर्तमान वर्तनी 17 वीं सदी के अन्त में तय किया गया था। चौसर शब्द का इस्तेमाल एक दंभी और आडंबरपूर्ण व्यक्ति की उपमा "प्राउड अ पेकोक" त्रोइलुस एंड क्रिसेय्डे मोर के लिए यूनानी शब्द था टओस और जो "तवूस" से संबंधित था।
हिब्रू शब्द तुकी लेख से आया है लेकिन कभी कभी मिस्र के शब्द तेख से भी संकेत हुए हैं। मोर का वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस है। यह हंस के आकार का रंगीन पक्षी है, जिसके पंखों में कलगी लगी होती है। सामान्यतः एक मोर में 200 के करीब लम्बी पंखों वाली एक शानदार कांस्य-हरी पूंछ होती है। इसके आंखों के नीचे एक सफेद धब्बा और इसकी गर्दन पतली और लंबी होती है।भारतीय सभ्यता-संस्कृति में मोर की महत्ता को देखते हुए केंद्र सरकार ने 1 फरवरी 1963 को इसे राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया था। नर को मोर और मादा को मोरनी के रूप में जाना जाता है। वहीं सामान्य तौर पर दोनों लिंगों के लिए मोर का उपयोग किया जाता है।
माधवी कृष्णन ने 1961 में लिखे अपने एक आर्टिकल में कहा था कि भारतीय वन्य प्राणी बोर्ड की ऊटाकामुंड में बैठक हुई थी। इस बैठक में सारस क्रैन, ब्राह्मिणी काइट, बस्टार्ड, और हंस के नामों पर भी चर्चा हुई थी। लेकिन इन सब में मोर का नाम चुना गया। दरअसल इसके लिए जो गाइडलाइन्स बनाई गई थीं उनके अनुसार राष्ट्रीय पक्षी घोषित किए जाने के लिए उस पक्षी का देश के सभी हिस्सों में मौजूद होना जरूरी है।
मोर केवल एक सुंदर पक्षी ही नहीं बल्कि इसे हिंदू धर्म की कथाओं में भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के राज्य में जो सिक्के चलते थे, उनके एक तरफ मोर बना होता था। मुगल बादशाह शाहजहाँ जिस तख्त पर बैठता था, उसकी शक्ल मोरकी थी। दो मोरों के मध्य बादशाह की गद्दी थी तथा पीछे पंख फैलाए मोर। हीरों-पन्नों से जड़े इस तख्त का नामतख्त-ए-ताऊस’ रखा गया। अरबी भाषा में मोर को ‘ताऊस’ कहते हैं।
मोर हिंदू व बौद्ध मान्यताओं व परंपराओं का प्रतीक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मोर समृद्ध व रहस्यमय संबंधों वाला पवित्र पक्षी है।इसे आनंद, खुशहाली, सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। हिंदू धर्म के जानकारों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण अपने सिर पर मोर पंख पहना पसंद करते थे। वहीं प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक भगवान गणेश के भाई कार्तिकेय मोर को अपने वाहन के रूप में उपयोग करते थे। भारत में मोर की झलक धर्म-संस्कृति और कला-शिल्प सहित अन्य क्षेत्रों में दिखाई देता है। 1963 में राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा मिलने के बाद से यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित जीवों में शामिल है। एक तरह से कह सकते हैं कि इस प्रजाति को विशेष संरक्षण प्राप्त है।
भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। वहीं कई अन्य पक्षियों की संख्या में काफी कमी हुई है। ये रिपोर्ट जंगली संयुक्त राष्ट्र के पहल पर गुजरात के गांधीनगर में जानवरों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर आयोजित सम्मेलन में जारी किया गया था।
भारत के राष्ट्रीय पक्षी के बारे में रोचक तथ्य :-
1. भारतीय मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। मोर हंस के आकार के पक्षी हैं जो भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार में पाए जाते हैं।
2. 1 जनवरी 1963 में मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया।
3. मोर देश में बहुतायत में पाया जाता है तथा आम आदमी इससे परिचित है।
4. मोर का प्राचीन भारतीय कला और वास्तुकला में एक प्रमुख संदर्भ है और साथ ही भारतीय परंपराओं में इसका धार्मिक और पौराणिक संबंध भी है।
5. हिंदू धर्म में, मोर को गड़गड़ाहट, बारिश और युद्ध के देवता इंद्र की छवि के रूप में चित्रित किया जाता है।
6. भारतीय वन्यजीव अधिनियम, 1972 के तहत मोरों को पूर्ण संरक्षण दिया गया है।
7. मोर को हिंदू धर्म में पवित्र पक्षी माना जाता है। यह पक्षी भगवान शिव के पुत्र भगवान मुरुगन से संबंधित है।
8. मोर सर्वाहारी होते हैं, जो कम ऊंचाई वाले घास के मैदानों, जंगलों और आस-पास के मानव आवासों में पाए जाते हैं।
9. ऐसा माना जाता है कि मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य, मोर पालने वाले - संस्कृत में मयूर-पोशाख - की संतान थे।
10. आईयूसीएन रेड लिस्ट के अनुसार मोर सबसे कम चिंता वाली श्रेणी में आता है।