पहलगाम आतंकी हमला: भारत का कड़ा रुख और पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कदम
Editor : Shubham awasthi | 24 April, 2025
पहलगाम आतंकी हमला: भारत का कड़ा रुख और पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए कायराना आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। बैसरन घाटी में हुए इस हमले में 26 से 28 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, और 20 से अधिक लोग घायल हुए। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के विंग 'द रजिस्टेंट फ्रंट' न

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पहलगाम आतंकी हमला: भारत का कड़ा रुख और पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कदम
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए कायराना आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। बैसरन घाटी में हुए इस हमले में 26 से 28 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, और 20 से अधिक लोग घायल हुए। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के विंग 'द रजिस्टेंट फ्रंट' ने ली, लेकिन इसके तार सीधे तौर पर पाकिस्तान से जुड़े होने के सबूत सामने आए हैं। इस जघन्य कृत्य के बाद भारत सरकार ने तत्काल और कड़े कदम उठाए, जिनमें सिंधु जल समझौते को निलंबित करना, अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों
के वीजा रद्द करना, और राजनयिक संबंधों में अभूतपूर्व कटौती शामिल हैं
पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जाना जाता है, मंगलवार दोपहर 2:45 बजे एक भयावह आतंकी हमले का गवाह बना। बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें ज्यादातर पर्यटक निशाना बने। हमले में गुजरात, महाराष्ट्र, और अन्य राज्यों के पर्यटकों के साथ-साथ एक नेपाली नागरिक की भी जान गई। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, आतंकियों ने हिंदू धर्म के अनुयायियों को निशाना बनाया, जिसने इस हमले को और भी जघन्य बना दिया। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी में सबसे घातक आतंकी घटना मानी जा रही है।
हमले के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम तुरंत पहलगाम पहुंची और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर जांच शुरू की। एनआईए ने संदिग्धों के स्केच जारी किए, और सेना ने दो आतंकियों को ढेर कर दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं बैसरन घाटी का दौरा किया और घायलों से मुलाकात की। इस बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा और भारत उचित समय पर जवाब देगा।
भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पहलगाम हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं, और यह हमला सीमा पार आतंकवाद का एक और उदाहरण है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने इस हमले की साजिश रची थी। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने तो पाकिस्तान को आतंकवादी संगठन घोषित करने और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में इसके खिलाफ केस चलाने की मांग तक उठाई।
पाकिस्तान ने इन आरोपों का खंडन किया। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि पहलगाम हमले में उनका देश शामिल नहीं है, और कश्मीर में हिंसा भारत के आंतरिक विद्रोह का परिणाम है। हालांकि, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने हमले की निंदा करने से परहेज किया, जिसने भारत के आरोपों को और बल दिया
सीसीएस की बैठक: भारत का कड़ा रुख
हमले के अगले ही दिन, 23 अप्रैल 2025 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का अपना दौरा रद्द कर दिल्ली में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की आपात बैठक बुलाई। यह बैठक ढाई घंटे तक चली, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल थे। बैठक में पांच बड़े और ऐतिहासिक फैसले लिए गए, जो भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देते हैं।
1. सिंधु जल समझौता निलंबित
1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी सैन्य शासक अयूब खान के बीच हस्ताक्षरित सिंधु जल समझौता पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और कृषि की रीढ़ माना जाता है। इस समझौते के तहत सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को आवंटित है, जो उसकी 47 मिलियन एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई करता है। भारत ने इस समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फैसला लिया, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।" इस कदम को "पानी की सर्जिकल स्ट्राइक" के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे पाकिस्तान में जल, खाद्य, और ऊर्जा संकट गहरा सकता है। पाकिस्तान की 61% आबादी और प्रमुख शहर जैसे कराची, लाहौर, और मुल्तान सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर हैं। समझौते के निलंबन से पाकिस्तान की कृषि, विशेष रूप से गेहूं और चावल का उत्पादन, गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है, जिससे खाद्य संकट और आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
2. अटारी-वाघा बॉर्डर बंद
भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर पर एकीकृत जांच चौकी को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया। यह बॉर्डर दोनों देशों के बीच सड़क मार्ग से व्यापार और सीमित आवाजाही का प्रमुख केंद्र है। विदेश सचिव ने स्पष्ट किया कि वैध दस्तावेजों के साथ सीमा पार करने वाले भारतीय नागरिक 1 मई 2025 तक इस मार्ग से लौट सकते हैं, लेकिन उसके बाद यह मार्ग पूरी तरह बंद रहेगा।
2019 में जब पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते तोड़े थे, तब वहां जीवनरक्षक दवाओं और कच्चे माल की कमी हो गई थी। अटारी चेकपोस्ट के बंद होने से पाकिस्तान को एक बार फिर आर्थिक झटका लग सकता है। यह कदम पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर और अलग-थलग करने की भारत की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
3. पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा प्रतिबंध
भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों को दक्षेस वीजा छूट योजना (एसवीईएस) के तहत भारत यात्रा करने की अनुमति समाप्त कर दी। पहले जारी किए गए सभी एसवीईएस वीजा रद्द कर दिए गए हैं, और भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। यह कदम न केवल प्रतीकात्मक है, बल्कि यह पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार के नागरिक संपर्क को न्यूनतम करने की भारत की मंशा को दर्शाता है।
4. राजनयिक संबंधों में कटौती
भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, सैन्य, नौसेना, और वायु सलाहकारों को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' (अवांछित व्यक्ति) घोषित कर दिया और उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया। साथ ही, दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 करने का फैसला लिया गया, जो 1 मई 2025 तक लागू होगा।
भारत ने इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग से भी रक्षा, नौसेना, और वायु सलाहकारों को वापस बुलाने का निर्णय लिया। इन पदों को दोनों उच्चायोगों में निरस्त कर दिया गया है। यह कदम दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक संबंधों को न्यूनतम स्तर पर लाने का संकेत है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पाकिस्तान की वैश्विक छवि को और नुकसान होगा, क्योंकि यह आतंकवादी देश के रूप में उसकी छवि को और पुख्ता करता है।
5. सैन्य और कूटनीतिक जवाब की तैयारी
सीसीएस ने सुरक्षा बलों को उच्च सतर्कता बरतने और हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने का निर्देश दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ 150 मिनट की एक हाई-लेवल बैठक की, जिसमें थल, जल, और वायु मार्ग से जवाबी कार्रवाई के सभी विकल्पों पर चर्चा हुई। हालांकि, भारत ने अभी सैन्य कार्रवाई के बारे में खुलकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, कमांडो ऑपरेशन और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।