पहलगाम आतंकी हमले पर सियासी घमासान सीएम योगी ने अखिलेश यादव पर बोला हमला।
Editor : Anjali Mishra | 03 May, 2025
लखनऊ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा जब देश संकट में होता है, जब हमारे जवान शहीद होते हैं, तब विपक्ष खामोश क्यों रहता है?

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पहलगाम आतंकी हमले पर सियासी घमासान सीएम योगी ने अखिलेश यादव पर बोला हमला।जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जहां पूरे देश में गुस्सा है, वहीं अब इस मुद्दे पर सियासत भी गर्मा गई है।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर सीधा निशाना साधा है।सीएम योगी ने अखिलेश से कई तीखे सवाल पूछे हैं और देश की सुरक्षा के मुद्दे पर विपक्ष की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
लखनऊ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा जब देश संकट में होता है, जब हमारे जवान शहीद होते हैं, तब विपक्ष खामोश क्यों रहता है?
अखिलेश यादव को जवाब देना चाहिए कि ऐसे वक्त में वह सेना का मनोबल बढ़ाने की बजाय सवाल उठाने वालों के साथ क्यों खड़े नजर आते हैं?"सीएम योगी ने यह भी कहा कि यह वही समाजवादी पार्टी है, जो आतंकवादियों के मुकदमे वापस लेने की कोशिश कर चुकी है।
आज जब पहलगाम में जवानों पर हमला हुआ है, अखिलेश यादव की चुप्पी बहुत कुछ कहती |
शुक्रवार शाम को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 5 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और कई घायल हो गए।हमलावरों ने घात लगाकर सुरक्षाबलों पर फायरिंग की और भागने में कामयाब हो गए।
सेना और पुलिस ने इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है।सीएम योगी के हमले के बाद अखिलेश यादव की तरफ से भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
अखिलेश ने ट्वीट करते हुए कहा शहीदों के नाम पर राजनीति करना बंद करें सीएम योगी। सवाल सरकार से होना चाहिए कि इतने सुरक्षा इनपुट के बाद भी हमला कैसे हुआ?"
उन्होंने यह भी कहा हम सेना के साथ हैं, मगर देश को जवाब चाहिए कि कब तक हमारे जवान आतंकियों का शिकार बनते रहेंगे।विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों पर राजनीतिक बयानबाजी से बचना चाहिए।
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) प्रकाश चौहान ने कहा ऐसे समय में पूरा देश एकजुट होकर सुरक्षा बलों के साथ खड़ा हो, न कि इस पर सियासत करे।
वहीं राजनीतिक विश्लेषक रजनीश त्रिपाठी कहते हैं।यह चुनावी साल है और ऐसे में हर मुद्दा राजनीतिक रंग ले रहा है। मगर यह जनता को तय करना है कि असली सवाल कौन पूछ रहा है।और कौन सिर्फ जवाबों से बच रहा है।तो पहलगाम हमले ने न सिर्फ हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सियासत को भी गरमा दिया है।सीएम योगी और अखिलेश यादव के बीच तीखी जुबानी जंग जारी है।
मगर असली मुद्दा यही है। देश की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट कैसे रहें?
पहलगाम में हुआ यह आतंकी हमला पूरी तरह सुनियोजित बताया जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को पहले से कुछ इनपुट मिले थे कि आतंकी संगठन किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। इसके बावजूद हमलावर सुरक्षाबलों को चकमा देने में कामयाब रहे, जो सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
गृह मंत्रालय ने भी इस हमले को लेकर जम्मू-कश्मीर प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है। केंद्र सरकार ने कहा है कि देश विरोधी तत्वों को बख्शा नहीं जाएगा और राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा।
यह हमला ऐसे वक्त में हुआ है जब देश लोकसभा चुनाव के माहौल में है। ऐसे में इस घटना का राजनीतिक असर भी पड़ सकता है। कई विश्लेषकों का मानना है कि आतंकी घटनाएं चुनावी नैरेटिव को बदल सकती हैं और सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर चुनावी केंद्र में आ सकता है।
सीएम योगी ने यह भी कहा कि जब देश के जवान शहीद होते हैं, तब विपक्षी दलों को मिलकर सरकार का समर्थन करना चाहिए, न कि मौके का राजनीतिक लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा किसी एक दल का नहीं, पूरे देश का होता है।
इस हमले में शहीद हुए जवानों के परिवारों का कहना है कि उन्हें केवल मुआवजा नहीं, बल्कि न्याय चाहिए। एक शहीद के पिता ने कहा हर साल हमारे घर के चिराग बुझते हैं, लेकिन न आतंक रुकता है, न राजनीति। क्या यही है देश सेवा?
पहलगाम हमले ने देश की खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष पूछ रहा है कि जब इनपुट पहले से मौजूद थे तो हमलावर कैसे पहुंचे? क्या खुफिया सूचना को समय पर साझा नहीं किया गया या स्थानीय प्रशासन ने लापरवाही बरती?
इस हमले की निंदा सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी हो रही है। अमेरिका, फ्रांस और जापान ने भारत के साथ एकजुटता जताई है और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में समर्थन देने की बात कही है।
गृह मंत्रालय ने हमले के बाद हाई-लेवल मीटिंग बुलाई है जिसमें NSA अजित डोभाल, RAW और IB प्रमुख मौजूद रहे। सूत्रों के मुताबिक, कश्मीर घाटी में एक और बड़े एंटी-टेरर ऑपरेशन की तैयारी चल रही है और कुछ आतंकी ठिकानों की पहचान हो चुकी है।
पहलगाम के शहीद हमें याद दिलाते हैं कि देश की सुरक्षा कोई राजनीतिक बहस नहीं, एक साझा जिम्मेदारी है। सवाल सरकार से भी होने चाहिए, और जवाबदेही विपक्ष की भी बनती है।क्योंकि जब बंदूकें गरजती हैं, तब खामोश रह जाना भी एक अपराध होता है।