पहलगाम आतंकी हमला और उत्तर प्रदेश की सियासी उथल-पुथल: एक पोस्टर से भड़का विवाद
Editor : Shubham awasthi | 30 April, 2025
पहलगाम हमले की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि लखनऊ में एक पोस्टर ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया। समाजवादी पार्टी के दफ्तर के बाहर लोहिया वाहिनी द्वारा लगाए गए इस पोस्टर में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर का आधा हिस्सा काटकर उसमें अखिलेश यादव की तस्वीर जोड़ी गई।

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पहलगाम हमले की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि लखनऊ में एक पोस्टर ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया। समाजवादी पार्टी के दफ्तर के बाहर लोहिया वाहिनी द्वारा लगाए गए इस पोस्टर में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर का आधा हिस्सा काटकर उसमें अखिलेश यादव की तस्वीर जोड़ी गई। पोस्टर में सपा के दिग्गज नेताओं जैसे मुलायम सिंह यादव, राम मनोहर लोहिया, शिवपाल यादव, और रामगोपाल यादव की तस्वीरें भी शामिल थीं।
इस पोस्टर को सपा ने बाबा साहेब के प्रति सम्मान का प्रतीक बताया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इसे संविधान निर्माता का अपमान करार दिया। बीजेपी ने इसे दलित वोट बैंक को लुभाने की सपा की “घिनौनी चाल” बताया, जबकि बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसे बाबा साहेब और उनके अनुयायियों के खिलाफ अपमानजनक कदम कहा।
बीजेपी का हमला: “यह बाबा साहेब का अपमान”
बीजेपी ने इस मुद्दे को तूल देकर सपा पर चौतरफा हमला बोला। बीजेपी सांसद बृजलाल ने कहा, “अखिलेश यादव बाबा साहेब के चरणों की धूल भी नहीं हैं। यह संविधान निर्माता का अपमान है। सपा को सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए।” उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने इसे सपा की “दूषित मानसिकता” का परिचायक बताया और कहा कि सपा ने पहले भी बाबा साहेब के नाम पर बने मेडिकल कॉलेज और जिले के नाम बदलकर उनका अपमान किया था।
बीजेपी ने पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया। पार्टी ने सभी जिला मुख्यालयों पर अंबेडकर प्रतिमाओं के पास काली पट्टी बांधकर विरोध जताने की योजना बनाई। बीजेपी युवा मोर्चा और अन्य संगठनों ने भी इस मुद्दे को दलित समुदाय के बीच ले जाने की रणनीति अपनाई। बीजेपी का मानना है कि यह विवाद सपा को दलित वोट बैंक से दूर कर सकता है, जो पहले से ही बसपा और बीजेपी के बीच बंटा हुआ है।
मायावती की चेतावनी: “बीएसपी सड़कों पर उतरेगी”
बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस विवाद में कूदते हुए सपा और कांग्रेस को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “भारतीय संविधान के निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का अपमान कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। खासकर सपा और कांग्रेस को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए, वरना बीएसपी इनके खिलाफ सड़कों पर उतर सकती है।”
मायावती ने पहलगाम हमले के बहाने भी सपा और कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सभी पार्टियों को एकजुट होकर सरकार के हर कदम के साथ खड़े होना चाहिए, न कि इसकी आड़ में पोस्टरबाजी और बयानबाजी के जरिए घिनौनी राजनीति करनी चाहिए।” मायावती का यह बयान साफ करता है कि वह इस मुद्दे को दलित समुदाय के बीच ले जाकर सपा को घेरना चाहती हैं।
यूपी की सियासत में दलित वोट बैंक की जंग
उत्तर प्रदेश में दलित वोट बैंक हमेशा से सियासत का केंद्र रहा है। करीब 21% दलित आबादी वाले इस राज्य में बसपा लंबे समय तक दलितों की पहली पसंद रही, लेकिन 2014 के बाद बीजेपी ने गैर-जाटव दलित वोटरों को अपने पाले में खींच लिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने भी दलित पॉलिटिक्स में दखल देते हुए 37 सीटें जीतीं, जबकि बसपा का वोट शेयर 9% पर सिमट गया।
इस पोस्टर विवाद ने दलित वोट बैंक की जंग को और तेज कर दिया है। बीजेपी इसे सपा के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है, जबकि मायावती इसे बसपा की खोई हुई जमीन वापस पाने का मौका मान रही हैं। सपा के लिए यह विवाद एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि दलित समुदाय में बाबा साहेब का अपमान एक संवेदनशील मुद्दा है।
सपा के लिए फायदे का सौदा या उल्टा पड़ जाएगा?
सपा का यह पोस्टर दलित वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, लेकिन इसका उल्टा असर होने की संभावना ज्यादा है। बाबा साहेब का अपमान दलित समुदाय के लिए एक भावनात्मक मुद्दा है, और सपा का इस पर चुप रहना या कमजोर बचाव उसकी साख को नुकसान पहुंचा सकता है। बीजेपी और बसपा इस मुद्दे को लंबे समय तक जिंदा रखने की कोशिश करेंगी, जिससे सपा को बैकफुट पर आना पड़ सकता है।
हालांकि, अगर सपा इस विवाद को प्रभावी ढंग से संभाल लेती है और इसे बाबा साहेब के प्रति सम्मान से जोड़कर प्रचारित करती है, तो वह दलित वोटरों का एक हिस्सा अपने पाले में ला सकती है। लेकिन इसके लिए उसे मायावती और बीजेपी के हमलों का जवाब देने के लिए एक मजबूत रणनीति बनानी होगी।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में गुस्से की लहर फैल गई है। इस हमले के जवाब में भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए आतंकियों को सबक सिखाने की ठान ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को पूरी तरह से खुली छूट दे दी है कि वह कब, कहां और कैसे कार्रवाई करनी है, इसका निर्णय स्वतंत्र रूप से ले सके। अब आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम की तैयारी की जा रही है।