दिल्ली में बीजेपी की बहुमत की सरकार, कौन बनेगा मुख्यमंत्री, रेस में ये नाम आगे
Editor : Manager User | 08 February, 2025
दिल्ली में बीजेपी की बहुमत की सरकार बन गई है। इसके साथ ही सीएम पद की रेस भी शुरू हो गई है। इस रेस में कई नाम हैं। सबसे आगे जो नाम है वो है प्रवेश वर्मा का। बीजेपी ने उन्हें नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मैदान में उतारा था। प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को तीन हजार से अधिक वोटों से हरा दिया है। प्रवेश वर्मा दो बार के सांसद और महरौली से

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दिल्ली में बीजेपी ने इतिहास रच दिया है। 27 साल बाद दिल्ली में कमल खिला है। लेकिन इस जीत के साथ ही अब नेतृत्व को लेकर घमासान जारी है। दिल्ली में कौन बनेगा मुख्यमंत्री...जाट या गुर्जर? या फिर किसी महिला के सिर सजेगा ताज? या हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह चौंकाएगा बीजेपी नेतृत्व? क्या है बीजेपी की तैयारी? अभी कौन है रेस में आगे? सब बताएंगे वीडियो में बने रहिए अंत तक ...
दिल्ली में बीजेपी की बहुमत की सरकार बन गई है। इसके साथ ही सीएम पद की रेस भी शुरू हो गई है। इस रेस में कई नाम हैं। सबसे आगे जो नाम है वो है प्रवेश वर्मा का। बीजेपी ने उन्हें नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मैदान में उतारा था। प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को तीन हजार से अधिक वोटों से हरा दिया है। प्रवेश वर्मा दो बार के सांसद और महरौली से विधायक रह चुके हैं. उनके पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। खुद प्रवेश वर्मा जाट समुदाय से आते हैं। प्रवेश को सीएम बनाकर बीजेपी एक तीर से कई निशाने साध सकती है। हरियाणा और राजस्थान के जाट समुदाय के साथ ही यूपी में 27 के चुनाव को देखते हुए पश्चिम यूपी की जाट बेल्ट को आकर्षित करने में बीजेपी सफलव होगी।
प्रवेश वर्मा के बाद जो दूसरा नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है वो है दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का। वे पार्टी की पंजाबी लॉबी से आते हैं। दिल्ली में मूल रूप से पंजाबी वोटर्स ज्यादा हैं। पंजाबियों को साधे बिना दिल्ली पर कभी किसी ने राज नहीं किया। बीजेपी को दिल्ली में जीताने के लिए सचदेवा ने काफी मेहनत की है। सचदेवा के नेतृत्व में ही यह जीत हुई है इसलिए वे प्रबल दावेदार भी हैं। खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक ट्वीट ने भी यह संकेत दिया है कि सचदेवा इस पद के लिए नेतृत्व की पसंद हो सकते हैं। उन्होंने एक्स पर पार्टी को बधाई देते हुए सचदेवा को कुशल नेतृत्व के लिए अलग से मेंशन किया है।
इसके अलावा बीजेपी सांसद मनोज तिवारी का नाम भी इस रेस में आगे है। मनोज तिवारी लगातार तीसरी बार दिल्ली से बीजेपी के सांसद बने हैं। दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। पूर्वांचली वोटर्स में उनकी जबरदस्त पकड़ है। यूपी और बिहार के भोजपुरी वोटर्स को लुभाने के लिए पार्टी उन पर दांव खेल सकती है। इस समय दिल्ली में वे पूर्वांचली समाज के सबसे बड़े नेता भी बनकर उभर चुके हैं।
मनोज के अलावा इस रेस में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और दलित चेहरा दुष्यंत गौतम भी हैं। दुष्यंत गौतम दलित समुदाय से आने के साथ ही छात्र राजनीति से ही सक्रिय ररहे हैं। राज्यसभा सांसद के रूप में भी कार्य किया है। अगर पार्टी आने वाले चुनावों में दलित वोटर्स को लुभाने के लिए मन बनाती है तो दुष्यंत एक बड़ा नाम हो सकते हैं।
गुर्जर समुदाय से आने वाले रमेश विधूड़ी भी सीएम पद की रेस में अभी भी शामिल हैं। हालांकि वे सीएम आतिशी के खिलाफ चुनाव हार चुके हैं। लेकिन अगर पार्टी ओबीसी समुदाय को साधना चाहती है तो रमेश विधुड़ी को चेहरा बना सकती है।
हालांकि बीजेपी नेतृत्व हमेशा ही अपने फैसलों से चौंकाता रहता है। यही वजह है कि कई ऐसे नाम हैं जो अचानक से आपको चौंका सकते हैं. इनमें एक बड़ा नाम विजेंदर गुप्ता का है। दिल्ली में AAP के प्रभुत्व के बावजूद 2015 और 2020 दोनों चुनावों में रोहिणी सीट जीती. इस बार वे तीसरी बार विधायक बनेंगे। दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं और अभी दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में एक दमदार उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं।
कांग्रेस की तर्ज पर शीला दीक्षित सरकार की तरह बीजेपी भी किसी महिला नेत्री पर दांव खेल सकती है। अगर ऐसा होता है तो पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का नाम सबसे आगे चल रहा है। स्मृति ईरानी भले ही इस बार लोकसभा चुनाव हार गईं लेकिन पार्टी में अभी भी उनका कद बड़ा है। उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी के करीबियों में गिना जाता है। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी और बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज का भी नाम इस रेस में है। बांसुरी स्वराज ब्राह्मण हैं और पहली बार सांसद बनने के बावजूद पार्टी के भीतर बहुत तेजी से उनका कद बढ़ा है। ऐसे में पार्टी उन पर दांव खेल सकती है। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी का भी नाम इस रेस में है।
भाजपा के पास सिख सीएम का भी विकल्प है. सिख चेहरा मनजिंदर सिंह सिरसा राजौरी गार्डन से चुनाव जीते हैं। वह दो बार इस सीट से पहले भी जीत चुके हैं। सिरसा ने सिख समुदाय तक भाजपा की पहुंच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका फायदा उन्हें मिल सकता है। इस समुदाय को साधने के लिए बीजेपी इन पर दांव खेल सकती है।
अगर बीजेपी किसी नए चेहरे पर दांव खेलती है तो प्रखर हिंदुत्व चेहरे के रूप में उभरे कपिल मिश्रा भी एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं। कभी आम आदमी पार्टी में केजरीवाल के सबसे करीबियों में से एक रहे कपिल मिश्रा इस समय केजरीवाल के खिलाफ सबसे आक्रामक रुख रखते हैं। वहीं, बीजेपी जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के लिए यूपी की तर्ज पर दो डिप्टी सीएम भी बना सकती है। सीएम पद के उम्मीदवार को देखते हुए दोनों डिप्टी सीएम तय किए जाएंगे। प्रवेश वर्मा, मनोज तिवारी, वीरेंद्र सचदेवा अगर सीएम नहीं बनते हैं तो इनमें से कोई दो डिप्टी सीएम की रेस में जरूर शामिल हो सकते हैं। अभी तक सूत्रों के हवाले से जो जानकारी आ रही है उसमें प्रवेश वर्मा को सीएम और मनोज तिवारी और वीरेंद्र सचदेवा को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। आपको क्या लगता है, किसे दिल्ली का मुख्यमंत्री बनना चाहिए, कमेंट में बताइए।