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आगरा में राणा सांगा जयंती और स्वाभिमान रैली विवाद

Editor : Shubham awasthi | 13 April, 2025

उत्तर प्रदेश के आगरा में बीते 12 अप्रैल 2025 को राणा सांगा की जयंती पर आयोजित 'रक्त स्वाभिमान रैली' ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे देश में एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक विवाद को जन्म दिया। करणी सेना और अन्य राजपूत संगठनों के आह्वान पर आयोजित इस रैली का मुख्य उद्देश्य समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के एक विवादास्पद बयान का

आगरा में राणा सांगा जयंती और स्वाभिमान रैली विवाद

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उत्तर प्रदेश के आगरा में बीते 12 अप्रैल 2025 को राणा सांगा की जयंती पर आयोजित 'रक्त स्वाभिमान रैली' ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे देश में एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक विवाद को जन्म दिया। करणी सेना और अन्य राजपूत संगठनों के आह्वान पर आयोजित इस रैली का मुख्य उद्देश्य समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के एक विवादास्पद बयान का विरोध करना था। इस बयान में सुमन ने मेवाड़ के शासक राणा सांगा को 'गद्दार' करार देते हुए दावा किया था कि उन्होंने मुगल शासक बाबर को भारत लाने में भूमिका निभाई थी। इस रैली में न केवल सुमन के खिलाफ गुस्सा उभरा, बल्कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके परिवार को भी निशाना बनाया गया। साथ ही, रैली के दौरान तलवारें लहराने, बैरिकेडिंग तोड़ने और नेशनल हाईवे पर जाम लगाने से मामले ने और तूल पकड़ लिया है 


राणा सांगा जयंती और स्वाभिमान रैली का आयोजन

राणा सांगा, जिन्हें महाराणा संग्राम सिंह के नाम से भी जाना जाता है, 16वीं सदी में मेवाड़ के शासक थे। उनकी वीरता और बलिदान की कहानियां भारतीय इतिहास में गर्व का विषय हैं। हर साल उनकी जयंती को राजपूत समुदाय और अन्य हिंदू संगठनों द्वारा उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार आगरा के गढ़ी रामी गांव में करणी सेना ने राणा सांगा की 543वीं जयंती के अवसर पर 'रक्त स्वाभिमान सम्मेलन' का आयोजन किया। इस रैली में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान, हरियाणा और गुजरात से भी हजारों लोग शामिल हुए। आयोजकों का दावा था कि रैली में एक लाख से अधिक लोग जुटे, जो भगवा और पीले स्कार्फ पहने हुए थे और 'जय श्री राम' तथा 'जय भवानी' के नारे लगा रहे थे।

रैली का मुख्य उद्देश्य सपा सांसद रामजीलाल सुमन के 21 मार्च 2025 को संसद में दिए गए बयान का विरोध करना था। सुमन ने अपने बयान में कहा था, “मुसलमानों में बाबर का डीएनए होने की बात करना बीजेपी का तकिया कलाम बन गया है, लेकिन यह नहीं बताते कि हिंदुओं में किसका डीएनए है। बाबर को भारत लाने वाला कौन था? राणा सांगा ने ही इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को बुलाया था।” इस बयान में राणा सांगा को 'गद्दार' कहने से राजपूत समुदाय और हिंदू संगठनों में आक्रोश फैल गया। करणी सेना ने इस बयान को अपमानजनक बताते हुए सुमन से माफी की मांग की और उनकी राज्यसभा सदस्यता रद्द करने की बात उठाई।


विवाद की शुरुआत: रामजीलाल सुमन का बयान

रामजीलाल सुमन का बयान 21 मार्च 2025 को राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज की समीक्षा के दौरान आया था। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए यह तर्क देने की कोशिश की कि यदि मुस्लिम समुदाय को बाबर से जोड़ा जाता है, तो हिंदुओं की ऐतिहासिक भूमिका पर भी सवाल उठने चाहिए। उनके इस बयान ने तुरंत विवाद को जन्म दिया। राजपूत समुदाय, जो राणा सांगा को अपने गौरव और स्वाभिमान का प्रतीक मानता है, ने इसे अपने सम्मान पर हमला माना।

26 मार्च को करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने सुमन के आगरा स्थित आवास पर हमला कर दिया। इस हमले में तोड़फोड़, पथराव और पुलिस के साथ झड़प हुई, जिसमें कई लोग घायल हुए, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे। इस घटना के बाद सुमन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से सुरक्षा की मांग की, और उनके आवास पर सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया गया। सुमन ने अपने बयान पर माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा कि वह इतिहास के तथ्यों पर आधारित बात कर रहे हैं और अपने रुख पर कायम हैं।


रक्त स्वाभिमान रैली: एक शक्ति प्रदर्शन

12 अप्रैल की रैली करणी सेना और अन्य क्षत्रिय संगठनों के लिए एक शक्ति प्रदर्शन का अवसर थी। इस रैली में करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरजपाल अम्मू, वीर प्रताप सिंह, शेर सिंह राणा और श्री राजपूत करणी सेना की राष्ट्रीय अध्यक्ष शीला सुखदेव जैसे प्रमुख नेता शामिल हुए। इसके अलावा, प्रतापगढ़ के एमएलसी और रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) के करीबी अक्षय प्रताप सिंह की मौजूदगी ने रैली को और राजनीतिक रंग दे दिया।

रैली के दौरान मंच से सुमन के साथ-साथ अखिलेश यादव और उनके परिवार के खिलाफ भी तीखी टिप्पणियां की गईं। कुछ प्रदर्शनकारियों ने खुले तौर पर अखिलेश को चुनौती दी, और एक प्रदर्शनकारी का वीडियो वायरल हुआ जिसमें उसने अखिलेश को गोली मारने की धमकी दी। इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया और विवाद को और हवा दी।

रैली में तलवारें, भाले और लाठी-डंडे लहराए गए, जिसने पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती खड़ी कर दी। कार्यक्रम के बाद कुछ कार्यकर्ताओं ने रास्ते में लगी बैरिकेडिंग को तोड़ दिया और नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया। इन घटनाओं ने रैली को और विवादास्पद बना दिया। डीसीपी (सिटी) सोनम कुमार ने कहा कि हथियार लहराने वालों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ विधिक कार्यवाही की जाएगी 

समाजवादी पार्टी और इसके अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पूरे विवाद में सुमन का खुलकर समर्थन किया। अखिलेश ने करणी सेना पर बीजेपी की 'सुपर फोर्स' होने का आरोप लगाया और इसे एक सुनियोजित साजिश करार दिया। उन्होंने कहा, “हिटलर ने भी एक सेना बनाई थी, जो विरोधियों को दबाने का काम करती थी। यह करणी सेना बीजेपी की कठपुतली है। हम अपने सांसद और कार्यकर्ताओं के सम्मान की रक्षा करेंगे।” अखिलेश ने यह भी कहा कि सुमन का बयान ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित था और इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।

अखिलेश ने 19 अप्रैल को आगरा में सुमन के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की योजना बनाई, जो सपा के अपने सांसद के प्रति समर्थन का एक स्पष्ट संदेश था। सपा के अन्य नेता, जैसे रामगोपाल यादव और शिवपाल सिंह यादव, भी सुमन के समर्थन में सामने आए। सपा ने इस मुद्दे को 'PDA' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की लड़ाई से जोड़ते हुए इसे बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति का जवाब देने की कोशिश की।राजा भैया और अक्षय प्रताप सिंह की भूमिका

प्रतापगढ़ के प्रभावशाली नेता रघुराज प्रताप सिंह, जिन्हें राजा भैया के नाम से जाना जाता है, के समर्थकों ने इस रैली में सक्रिय भूमिका निभाई। राजा भैया के करीबी और एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह ने रैली में हिस्सा लिया और मंच से सपा के खिलाफ तीखी टिप्पणियां कीं। राजा भैया की पार्टी, जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक), ने इस मुद्दे पर करणी सेना का खुलकर समर्थन किया। यह कदम उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया समीकरण बनाता दिख रहा है|