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शरीर के लिए कितने जरूरी हैं विटामिन्स, एक क्लिक में जानिए

Editor : Manager User | 11 February, 2025

विटामिन बी कॉम्प्लेक्स के स्रोतों में टमाटर, भूसी दार गेहूँ का आटा, अण्डे की जर्दी, हरी पत्तियों का साग, बादाम, अखरोट, बिना पॉलिश किया चावल, पौधों के बीज, सुपारी, नारंगी, अंगूर, दूध, ताजे सेम, ताजे मटर, दाल, जिगर, वनस्पति साग-सब्जी, आलू, मेवा, खमीर, मक्की, चना, नारियल, पिस्ता, ताजे फल, कमरकल्ला, दही, पालक, बन्दगोभी, मछली, अण्डे की सफेदी, माल्टा, चा

शरीर के लिए कितने जरूरी हैं विटामिन्स, एक क्लिक में जानिए

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[5:28 PM, 2/11/2025] Anjali 24 ADDA: विटामिन या जीवन सत्व भोजन के अवयव है,जिसकी सभी जीवो को अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है।रासायनिक रूप से ये कार्बनिक यौगिक होते हैं। उसे योगी को विटामिन कहा जाता है शिक्षक द्वारा पर्याप्त मात्रा में स्वयं उत्पन्न नहीं किया जा सकता,बल्कि भोजन के रूप में लेना आवश्यक है। 


विटामिन की कमी से होने वाले रोग का विस्तृत रूप:-


विटामिन ए:- वृद्धि रुकना रतौंधी व जीरफ्थेल्मिया, संक्रमण के प्रति प्रभाव्यता, त्वचा और झिल्लियों में परिवर्तन का आना, दोषपूर्ण दाँत आदि।

विटामिन बी1 -- वृद्धि का रुकना, भूख और वजन का घटना, तंत्रिका विकास, बेरी-बेरी, थकान का होना, बदहजमी, पेट की खराबी आदि।

विटामिन बी2 -- वृद्धि का रुकना, धुधली दृष्टि का होना, जीभ पर छाले का पड़ जाना, असमय बुढ़ापा आना, प्रकाश न सह पाना आदि।

विटामिन बी3 -- जीभ का चिकनापन, त्वचा पर फोड़े फुंसी होना, पाचन क्रिया में गड़बड़ी, मानसिक विकारों का होना आदि।

विटामिन बी5 -- पेशियों में लकवा, पैरों में जलन आदि।

विटामिन बी6 -- त्वचा रोग, मस्तिष्क का ठीक से काम ना करना, शरीर का भार कम होना, अनीमिया आदि।

विटामिन बी7 -- लकवा की शिकायत, शरीर में दर्द, बालों का गिरना तथा वृद्धि में कमी आदि।

विटामिन बी12 -- रुधिर की कमी।

विटामिन सी -- मसूड़े फूलना, अस्थियों के चारों ओर श्राव, जरा सी चोट पर रुधिर निकलना (स्कर्वी), अस्थियाँ कमजोर होना आदि।

विटामिन डी -- सूविटामिन ए का रासायनिक नाम रेटिनॉल है। इसे antixerophthalmic विटामिन भी कहते है

विटामिन ई -- जनन शक्ति का कम होना।

विटामिन के -- रुधिर का स्राव होना, ऐंठन, हीमोफीलिया आदि।

फोलिक एसिड -- अनीमिया तथा पेचिश रोग होता है।


विटामिन A:-

विटामिन आँखों से देखने के लिये अत्यंत आवश्यक होता है। साथ ही यह संक्रामक रोगों से बचाता है। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि त्वचा, बाल, नाखून, ग्रंथि, दाँत, मसूड़ा और हड्डी। सबसे महत्वपूर्ण स्थिती जो कि सिर्फ विटामिन ए के अभाव में होती है, वह है अंधेरे में कम दिखाई देना, जिसे रतौंधि कहते हैं। इसके साथ आँखों में आँसूओं के कमी से आँखें सूख जाती हैं और उनमें घाव भी हो सकते हैं। बच्चों में विटामिन ए के अभाव में विकास भी धीरे हो जाता है, जिससे कि उनके कद पर असर कर सकता है। त्वचा और बालों में भी सूखापन हो जाता है और उनमें से चमक चली जाती है। संक्रमित बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है ताजे फल दूध माॅस अण्डा मछली का तेल गाजर मक्खन हरी सब्जियों में होता है Aका संश्लेषण पौधे के पीले या नारंगी वर्णक से प्राप्त केरोटिन से यकृत में होता हैैAदृष्टिवर्णक रोडोप्सिन के संश्लेषण में सहायक होता है रंतौधी मोतियाबिंद जीरोफ्थेल्मिया त्वचा शुष्क,शल्की संक्रमण का खतरा आंख का लैंस दूधिया आवरण से अपारदर्शक होने से मोतियाबिंद होता हैखा रोग, कमजोर दाँत, दाँतों का सड़ना आदि।


विटामिन बी:-

विटामिन बी शरीर को जीवन शक्ति देने के लिए अति आवश्यक होता है। इस विटामिन की कमी से शरीर अनेक रोगो का घर बन जाता है। विटामिन बी के कई विभागों की खोज की जा चुकी है। ये सभी विभाग मिलकर ही विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स कहलाते हैं। हालाँकि सभी विभाग एक दूसरे के अभिन्न अंग हैं, लेकिन फिर भी सभी आपस में भिन्नता रखते हैं। विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स 120 सेंटीग्रेड तक की गर्मी सहन करने की क्षमता रखता है। उससे अधिक ताप यह सहन नहीं कर पाता और नष्ट हो जाता है। यह विटामिन पानी में घुलनशील होता है। इसके प्रमुख कार्य स्नायुओं को स्वस्थ रखना तथा भोजन के पाचन में सक्रिय योगदान देना होता है। भूख को बढ़ाकर यह शरीर को जीवन शक्ति देता है। खाया-पिया अंग लगाने में सहायता प्रदान करता है। क्षार पदार्थो के संयोग से यह बिना किसी ताप के नष्ट हो जाता है, पर अम्ल के साथ उबाले जाने पर भी नष्ट नहीं होता। विटामिन बी कॉम्प्लेक्स के स्रोतों में टमाटर, भूसी दार गेहूँ का आटा, अण्डे की जर्दी, हरी पत्तियों का साग, बादाम, अखरोट, बिना पॉलिश किया चावल, पौधों के बीज, सुपारी, नारंगी, अंगूर, दूध, ताजे सेम, ताजे मटर, दाल, जिगर, वनस्पति साग-सब्जी, आलू, मेवा, खमीर, मक्की, चना, नारियल, पिस्ता, ताजे फल, कमरकल्ला, दही, पालक, बन्दगोभी, मछली, अण्डे की सफेदी, माल्टा, चावल की भूसी, फलदार सब्जी आदि आते हैं।


विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग

हाथ पैरों की उँगलियों में सनसनाहट होना, मस्तिष्क की स्नायु में सूजन व दोष होना, पैर ठंडे व गीले होना, सिर के पिछले भाग में स्नायु दोष हो जाना, मांसपेशियों का कमजोर होना, हाथ पैरों के जोड़ अकड़ना, शरीर का वजन घट जाना, नींद कम आना, मूत्राशय मसाने में दोष आना, महामारी की खराबी होना, शरीर पर लाल चक्कत्ती निकलना, दिल कमजोर होना, शरीर में सूजन आना, सिर चकराना, नजर कम हो जाना, पाचन क्रिया की खराबी होना।


विटामिन सी:-

विटामिन सी को एस्कोरबिक ऐसिड के नाम से भी जाना जाता है। इसे सर्वप्रथम गायोर्जी ने प्रथक किया था। यह शरीर की कोशिकाओं को बांध के रखता है। इससे शरीर के विभिन्न अंगों को आकार बनाने में मदद मिलता है। यह शरीर के ब्लड वेस्सल खून को मजबूत बनाता है। इसके एंटीहिस्टामीन गुणवत्ता के कारण, यह सामान्य सर्दी-जुकाम में दवा का काम कर सकता है। इसके अभाव में मसूड़ों से खून बहता है, दाँत दर्द हो सकता है, दाँत ढीले हो सकते हैं या निकल सकते हैं। त्वचा या चर्म में भी चोट लगने पर अधिक खून बह सकता है, रुखरा हो सकता है। आपको भूख कम लगेगी। बहुत अधिक विटामिन के अभाव से स्कर्वी रोग हो सकता है। विटामिन सी की कमी से शरीर का वजन कम हो जाता है


इससे शरीर के विभिन्न अंगों में, जैसे कि गुर्दे में, दिल में और अन्य जगह में, एक प्रकार का पथरी हो सकता है। यह ओक्ज़लेट क्रिस्टल का बना होता है। इससे पेशाब में जलन या दर्द हो सकता है, या फिर पेट खराब होने से दस्त हो सकते हैं। खून में कमी या एनिमीया हो सकता है। विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं – नारंगी जैसे फल या सिट्रस फ्रूट्स।


विटामिन डी:-

विटामिन डी के नाम हैं –

विटामिन डी2 या एर्गोकैल्सिफेरॉल

विटामिन डी3 या कोलेकेल्सिफेरोल 

यह शरीर की हड्डीयों को बनाने और संभाल कर रखने में मदद करता है। साथ ही यह शरीर में केल्शियम के स्तर को नियंत्रित रखता है। इसके अभाव में हड्डीयाँ कमजोर हो जाता हैे और टूट भी सकती हैं। बच्चों में इस स्थिती को रिकेट्स कहते हैं और व्यस्क लोगों में हड्डी के मुलायम होने को ओस्टीयोमलेशिया कहते हैं। इसके अलावा, हड्डी के पतला और कमजोर होने को ओस्टीयोपोरोसिस कहते हैं।


इससे शरीर के विभिन्न अंगों में, जैसे कि गुर्दे में, दिल में, खून के नसों में और अन्य जगह में, एक प्रकार का पथरी हो सकती है। यह केल्सियम का बना होता है। इससे ब्लड प्रेशर या रक्तचाप बढ सकता है, खून में कोलेस्ट्रोल अधिक हो सकता है और दिल पर असर पर सकता है। साथ ही चक्कर आना, कमजोरी लगना और सिरदर्द हो सकता है। पेट खराब होने से दस्त भी हो सकते है। अंडे का पीला भाग, मछली के तेल, विटामिन डी युक्त दूध और बटर इसके अच्छे स्रोत हैं, इसके आलावा धूप सेकने से भी शरीर में शरीर में इसका निर्माण होता है।


विटामिन ई:-

विटामिन ई, खून में रेड बल्ड सेल या लाल रक्त कोशिका को बनाने के काम आता है। इसे टोकोफ़ेरल भी कहते हैं। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि मांसपेशियां एवं अन्य टिशू या ऊत्तक। यह शरीर को ऑक्सिजन के एक नुकसानदायक रूप से बचाता है, जिसे ऑक्सिजन रेडिकल्स कहते हैं। इस गुण को एंटीओक्सिडेंट कहा जाता है। विटामिन ई, कोशिका के अस्तित्व बनाये रखने के लिये, उनके बाहरी कवच या सेल मेमब्रेन को बनाये रखता है। विटामिन ई, शरीर के फैटी एसिड को भी संतुलन में रखता है।