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भारत में ‘Turkey Boycott’, तुर्किये की यात्रा, व्यापार, और शैक्षणिक संबंधों का खुला बहिष्कार |

Editor : Anjali Mishra | 15 May, 2025

पाकिस्तान को ड्रोन सप्लाई कर तुर्किये ने भारत की दोस्ती पर सीधा वार किया।

भारत में ‘Turkey Boycott’,  तुर्किये की यात्रा, व्यापार, और शैक्षणिक संबंधों का खुला बहिष्कार |

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एक हाथ से मदद, और दूसरे हाथ में छुरा भारत ने तुर्किये को संकट में सहारा दिया, लेकिन बदले में जो मिला वो था धोखा! पाकिस्तान को ड्रोन सप्लाई कर तुर्किये ने भारत की दोस्ती पर सीधा वार किया। अब हर कोने से उठ रही है एक ही आवाज़ 'बहिष्कार!' पर्यटन, व्यापार, शिक्षा हर मोर्चे पर भारत ने तुर्किये और अज़रबैजान को साफ संदेश दे दिया है। क्या ये इकोनॉमिक स्ट्राइक तुर्किये को झुका पाएगी? क्या ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान का साथ देना तुर्किये को भारी पड़ेगा |


भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच तुर्किये को तगड़ा झटका लगा है। पाकिस्तान को ड्रोन सप्लाई करने की खबरों के बाद भारत में ‘Turkey Boycott’ की लहर तेज हो गई है। भारतीयों ने तुर्किये की यात्रा, व्यापार, और शैक्षणिक संबंधों का खुला बहिष्कार शुरू कर दिया है। यह कदम तब सामने आया जब खबर आई कि तुर्किये ने पाकिस्तान को ड्रोन उपलब्ध कराए, जो हालिया भारत-पाकिस्तान ड्रोन संघर्ष में इस्तेमाल हुए। भारत ने इसे 'दोस्ती में गद्दारी' और 'विश्वासघात' माना है, खासकर तब जब भारत ने फरवरी 2023 में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत तुर्किये को 100 टन से अधिक मानवीय मदद भेजी थी।


इस बहिष्कार की शुरुआत पर्यटन क्षेत्र से हुई, जहां MMT जैसे बड़े ट्रैवल प्लेटफॉर्म्स ने बताया कि सिर्फ 6 दिनों में तुर्किये और अजरबैजान के लिए 50% से अधिक बुकिंग कैंसिल हो चुकी हैं। इसके साथ ही, JNU (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) ने तुर्किये की इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ अपने शैक्षणिक करार को 'नेशन फर्स्ट' की भावना के तहत सस्पेंड कर दिया। व्यापारिक क्षेत्र में भी बहिष्कार तेज हो गया है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने तुर्किये और अजरबैजान के उत्पादों जैसे मार्बल, कालीन और परिधान के खिलाफ बहिष्कार का आह्वान किया है। दिल्ली, उदयपुर और कई राज्यों में व्यापारियों ने तुर्किये से मार्बल और सेब जैसे उत्पादों का आयात बंद कर दिया है।


भारत ने 2023-24 में तुर्किये से करीब 3.78 बिलियन डॉलर का आयात किया था, और हर साल तुर्किये में करीब 3 लाख भारतीय पर्यटक जाते हैं। अब इस बहिष्कार से तुर्किये के पर्यटन और व्यापार क्षेत्र को भारी नुकसान होने की आशंका है। वहीं, तुर्किये की अर्थव्यवस्था पर इस फैसले का सीधा प्रभाव पड़ रहा है, जिससे वहां के व्यापारी और पर्यटन विभाग में चिंता की लहर दौड़ गई है।


स्वदेशी जागरण मंच के अश्विनी महाजन ने तुर्किये पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि तुर्किये ने भारत की उदारता को नजरअंदाज कर दिया। वहीं, कैट के राष्ट्रीय महामंत्री और सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने इस बहिष्कार अभियान को ट्रैवल और टूर ऑपरेटर्स के साथ मिलकर और तेज करने की बात कही है। 16 मई को कैट की बैठक में बहिष्कार की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा।


सोशल मीडिया पर भी 'Turkey Boycott' की मुहिम ज़ोर पकड़ रही है। युवा वर्ग इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है और तुर्किये से जुड़े उत्पादों व सेवाओं का विरोध कर रहा है। यह बहिष्कार स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का मौका भी बन गया है। उदयपुर जैसे शहरों में मार्बल व्यापारियों ने विदेशी आयात रोककर स्थानीय उद्योगों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है।


भारत और तुर्किये के बीच वर्षों से आर्थिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक रिश्ते रहे हैं, लेकिन तुर्किये के हालिया रुख ने इन संबंधों में गहरी खटास ला दी है। पाकिस्तान का समर्थन और ड्रोन सप्लाई को भारत ने न सिर्फ राजनीतिक, बल्कि मानवीय स्तर पर भी गंभीर धोखा माना है। अब यह देखना बाकी है कि तुर्किये और अजरबैजान भारत की इस आर्थिक-सामाजिक सख्ती के बाद अपनी विदेश नीति में बदलाव करते हैं या नहीं। फिलहाल भारत की जनता, व्यापारी, छात्र और संगठन एक सुर में बोल रहे हैं – 'राष्ट्र सर्वोपरि'।