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लोकसभा में नया आयकर विधेयक पेश, जानिए इसमें क्या है खास

Editor : Manager User | 13 February, 2025

एक बार कानून बनने के बाद आयकर विधेयक 2025 छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा। पहले का कानून समय के साथ और विभिन्न संशोधनों के बाद काफी जटिल हो गया है, इसलिए इसकी जगह नया आयकर विधेयक लाया जा रहा है। सरकार की ओर से प्रस्तावित नए कानून में, आयकर अधिनियम, 1961 में उल्लिखित ‘पिछले वर्ष’ (FY) शब्द को बदलकर ‘कर वर्ष’ कर दिया गया है। इसके साथ ही,

लोकसभा में नया आयकर विधेयक पेश, जानिए इसमें क्या है खास

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लोकसभा में नया आयकर विधेयक पेश किया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया। अध्यक्ष ओम बिरला से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया। विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को प्रस्तुत करने के दौरान इसका विरोध किया, लेकिन सदन ने इसे प्रस्तुत करने के लिए ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित कर दिया।



विधेयक को पेश करते हुए सीतारमण ने लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि वे मसौदा कानून को सदन की प्रवर समिति को भेजें, जो अगले सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उन्होंने अध्यक्ष से प्रस्तावित पैनल की संरचना और नियमों पर निर्णय लेने का आग्रह किया। आयकर कानूनों को सरल बनाने के लिए नया कानून बनाने का एलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी 2025 के अपने बजट भाषण में किया था। इस विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट की भी मंजूरी मिल चुकी है। लोकसभा में पेश होने वाला नए आयकर विधेयक में 536 धाराएं है। इसमें 23 अध्याय है और यह 622 पन्नों का है। इस विधेयक के पारित होने के बाद नया आयकर कानून अधिक व्यवस्थित और वर्तमान कानून की तुलना में सरल होगा।



एक बार कानून बनने के बाद आयकर विधेयक 2025 छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा। पहले का कानून समय के साथ और विभिन्न संशोधनों के बाद काफी जटिल हो गया है, इसलिए इसकी जगह नया आयकर विधेयक लाया जा रहा है। सरकार की ओर से प्रस्तावित नए कानून में, आयकर अधिनियम, 1961 में उल्लिखित ‘पिछले वर्ष’ (FY) शब्द को बदलकर ‘कर वर्ष’ कर दिया गया है। इसके साथ ही, मूल्यांकन वर्ष (AY) की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है।


हालांकि, नए आयकर विधेयक में भी वर्तमान कानून की तरह ही अध्यायों की संख्या 23 ही रखी गई है। जबकि पृष्ठों की संख्या काफी कम होकर 622 हो गई है, जो वर्तमान के भारी-भरकम अधिनियम का लगभग आधा है। वर्तमान में जो कानून अमल में है, उसमें पिछले छह दशकों के दौरान किए गए संशोधन शामिल हैं। जब आयकर अधिनियम, 1961 लाया गया था, तो इसमें 880 पृष्ठ थे।