महाकुंभ में एक नहीं दो भगदड़, आखिर क्योंं छिपा रही पुलिस
Editor : Manager User | 31 January, 2025
पुलिस की संवेदनहीनता पूरी तरह से उजागर हुई है। अब तो मामले की जांच समिति भी बैठाई गई है। जरूर समिति अपनी जांच में इन बातों का संज्ञान लेगी लेकिन यहां अहम सवाल ये है कि आखिर इतना बड़ा सच छिपाया क्यों जा रहा है? आखिर हादसे हुए हैं तो उसके बारे में सही जानकारी क्यों नहीं दी जा रही है।

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महाकुंभ मेला परिसर में हुई थी एक और भगदड़?
दूसरे भगदड़ में कितने लोगों की मौत हुई?
दूसरे भगदड़ की कोई जानकारी अब तक सामने क्यों नहीं आई?
भगदड़ के 24 घंटे बाद भी डीआईजी कुंभ जानकारी से कर रहे हैं इनकार
आखिर पुलिस क्या छिपा रही है और क्यों छिपा रही है?
क्या जनता के जान की कोई कीमत नहीं है?
भगदड़ क्यों मची, किसी को नहीं पता?
भगदड़ रोकने की जिम्मेदारी पुलिस की थी तो पुलिस कहां थी?
आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है?
तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं, कैमरे पर सबकुछ कैद है, फिर भी ये खामोशी क्यों?
सवाल बहुत सारे हैं, जवाब किसी के पास नहीं है। इतना बड़ा हादसा। इतना दुखद हादसा। हृदय विदारक, मर्माहत करने वाले दृश्य जिसे देखकर कलेजा फट जाए। हादसा नहीं होना चाहिए था, उसके हरसंभव प्रयास भी हुए, मैं इससे इनकार नहीं करता लेकिन अगर हादसा हो गया तो उसके बाद हादसे को लगातार नकारते रहना वह भी तब जब पुलिस प्रशासन से अधिक संवेदना की जरूरत होती है यह समझ से परे है। हादसे के बारे में वहां की पुलिस और प्रशासन द्वारा जिस तरह से सबको भ्रमित करने की कोशिश की गई यह हादसे से कम पीड़ादायक नहीं है।
पुलिस की संवेदनहीनता पूरी तरह से उजागर हुई है। अब तो मामले की जांच समिति भी बैठाई गई है। जरूर समिति अपनी जांच में इन बातों का संज्ञान लेगी लेकिन यहां अहम सवाल ये है कि आखिर इतना बड़ा सच छिपाया क्यों जा रहा है? आखिर हादसे हुए हैं तो उसके बारे में सही जानकारी क्यों नहीं दी जा रही है।
मीडिया हाउस लल्लनटॉप ने दावा किया है कि महाकुंभ मेला परिसर में दूसरा भगदड़ भी हुआ है। बकायादा लल्लनटॉप की तऱफ से विजुअल्स भी दिखाए गए हैं जिसमें झूसी इलाके में कुछ ट्रॉली ट्रैक्टर के जरिए बड़ी संख्या में लोगों के कपड़े, जूते चप्पल और अन्य सामग्रियों को जल्दी जल्दी हटाया जा रहा है। लल्लनटॉप ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से बातचीत कर यह जानकारी दी है कि मेला परिसर में सिर्फ एक नहीं बल्कि दो-दो भगदड़ हुए। अब सवाल ये है कि दूसरे भगदड़ के बारे में अभी तक सब मौन क्यों हैं?
खुद लल्लनटॉप ने जब इसकी जानकारी लेने के लिए डीआईजी कुंभ वैभव कृष्ण से बात की तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास कोई जानकारी ही नहीं है। हां, उन्होंने जांच कराने की बात जरूर कह दी। अब डीआईजी साहेब कह रहे हैं कि किसी ने पुलिस को रिपोर्ट नहीं किया। तो क्या पुलिस इंतजार कर रही है कि भगदड़ की जानकारी लोग उन्हें दें..तो फिर ये बड़ी संख्या में तैनात पुलिस फोर्स क्या कर रही है? पुलिस और मेला प्रशासन क्या इतना पंगु है कि उसे हादसे के 24 घंटे होने के बाद भी कोई जनकारी नहीं मिल रही है?
या फिर कुछ छिपाया जा रहा है। सवाल तो उठता है ऐसा इसलिए क्योंकि तस्वीरें तो झूठ नहीं बोलेंगी। लल्लनटॉप के कैमरे में कैद हुई तस्वीरें चीख-चीखकर बता रही हैं कि हादसा हुआ है और बड़ा हादसा हुआ है? खुद कैमरे पर लोग इसके बारे में बातें कर रहे हैं। कई लोग बड़ी संख्या में लोगों के हताहत होने की बात कर रहे हैं लेकिन डीआईजी कुंभ को जानकारी ही नहीं है।
याद करिए पहले भगदड़ को लेकर भी पुलिस ने शुरू में गुमराह करने की कोशिश की थी। एसएसपी कुंभ ने पहले भगदड़ में हताहतों की घटना से कैसे इनकार किया था? और अब डीआईजी कुंभ का कहना है कि उन्हें दूसरे भगदड़ की जानकारी नहीं है लेकिन वे मामले की जांच कराएंगे।
चलिए पहले आपको पहले भगदड़ की जानकरी देते हैं। संगम नोज पर ये भगदड़ मची। बताया गया कि रात में डेढ़ से दो बजे के बीच संगम नोज क्षेत्र में यह भगदड़ हुई। सरकारी आंकड़ा है कि इस भगदड़ में 30 लोगों की मौत हुई है, करीब 60 लोग घायल हुए हैं। यह भगदड़ कैसे हुई और इसे रोका क्यों नहीं जा सका? इस पर सब खामोश है। पहले तो पुलिस ने हताहतो पर भी गुमराह करने की कोशिश की। यहां तक कि सीधे भगदड़ बताने से भी सब बचते रहे? इतनी संवेदनहीनता आखिर क्यों?
इस हादसे के करीब 4 घंटे बाद यानी सुबह 5 बजे के करीब ही झूसी इलाके में दूसरे भगदड़ की अब जानकारी सामने आई है लेकिन डीआईजी कुंभ इससे इनकार कर रहे हैं। जबकि लल्लनटॉप ने जो तस्वीरें दिखाई हैं उसमें कपड़ों, जूतों और बोतलों के ढेर को ट्रैक्टरों द्वारा वहां से हटाया जा रहा है?
अब चलिए आपको बताते हैं कि यह सब तब हुआ जब इस महाकुंभ को सबसे अधिक सुरक्षित क्षेत्र बताया जा रहा था और यहां सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। आंकड़ों की बात करें तो करीब 15 हजार से पुलिसकर्मी, 14 हजार के करीब होमगार्ड्स, 200 से अधिक एनएसजी कमांडो तैनात किए गए हैं। 4000 नावों से निगरानी रखने के दावे हैं। चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी फुटेज हैं. इस महाकुंभ को डिजिटल महाकुंभ कहा जा रहा है। इतनी सुरक्षा, इतनी तकनीक लेकिन हादसा हुआ तो सब फेल...आखिर क्यों ...कैसे सवाल तो उठेंगे....
फिलहाल तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की टीम मामले की जांच करने आज प्रयागराज महाकुंभ पहुंच रही है। आज से जांच शुरू होगी। लेकिन अब भी सवाल यही है कि इतनी चुस्त दुरुस्त व्यवस्था का दावा किया जाना, आसपास के 70 से अधिक जिलों की पुलिस फोर्स की तैनाती, सर्विलांस के व्यापक प्रबंध के बावजूद इस तरह से भगदड़ होना और उससे भी अहम ये कि भगदड़ के बाद भी लगातार उसे डिनाई करना क्या पुलिस की संवेदनहीनता नहीं है? इतने संवेदनशील मामले को पुलिस प्रशासन ने दिग्भ्रमित करने की कोशिश क्यों की? इस पूरे मामले में आपकी क्या राय है, कमेंट में जरूर बताइए। महाकुंभ से जुड़ी कोई भी जानकारी आप नीचे कमेंट बॉक्स में हमारे साथ साझा कर सकते हैं. फिलहाल इस वीडियो में इतना ही, महाकुंभ में हुए इस हादसे के हर एक अपडेट के लिए बने रहिए हमारे साथ, देखते रहिए 24 अड्डा