क्या है ऑपरेशन सफेद सागर, करगिल युद्ध के दौरान खूब हुई थी चर्चा
Editor : Manager User | 26 February, 2025
इन हेलीकॉप्टर्स की खासियत यह थी कि इसमें ना कोई कैमरा होता था ना सेंसर, ये हथियारों से भी लैस नहीं थे और इनमें सिंगल इंजन होता था। कोशिश यही थी कि दुश्मन को पता न चल पाए कि रेकी हो रही है। पायलट्स इन्हें ऐसे इलाकों में लेकर उड़ रहे थे जहां ऑक्सीजन और हवा की डेन्सिटी दोनों बहुत कम रहे।

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देश के एक बड़े हिस्से ने जो पहला और आखिरी युद्ध देखा है वो है करगिल युद्ध। करगिल युद्ध के दौरान एक नाम बहुत चर्चित रहा और वो नाम है ऑपरेशन सफेद सागर। अभी ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स इस पर एक शो बनाने जा रहा है। तो आखिर कारगिल युद्ध के ऑपरेशन 'सफेद सागर' में ऐसा हुआ क्या था जिसकी इतनी चर्चा होती है? आखिर ये मिशन था क्या? क्यों कहा जाता है कि इस मिशन के बिना करगिल युद्ध जीतना आसान नहीं था। चलिए इस वीडियो में आपको इस मिशन के बारे में पूरी जानकारी देते हैं।
नमस्कार आप देख रहे हैं २४ अड्डा, मैं हूं लक्ष्मी शंकर मिश्र। करगलि युद्ध को जीतने में इंडियन एयर फोर्स ने अहम भूमिका निभाई थी। इस युद्ध के दौरान इंडियन एयरफोर्स के के ऑपरेशन्स को 'ऑपरेशन सफेद सागर' नाम दिया गया था लेकिन इसके पीछे भी एक बड़ी कहानी थी। वो क्या है चलिए बताते हैं। करगिल युद्ध के दौरान इंडियन एयरफोर्स की मदद सबसे पहले रेकी के लिए ली गई। एयर फोर्स के चीता हेलिकॉप्टर्स के रेकी मिशन से इसकी शुरुआत हुई थी। . पाकिस्तान की तरफ से भारतीय सीमा में घुसपैठ शुरू हुई तो चीता हेलिकॉप्टर्स के रेकी के जरिए ही सेना ने इसकी गंभीरता का पता लगाया।
इन हेलीकॉप्टर्स की खासियत यह थी कि इसमें ना कोई कैमरा होता था ना सेंसर, ये हथियारों से भी लैस नहीं थे और इनमें सिंगल इंजन होता था। कोशिश यही थी कि दुश्मन को पता न चल पाए कि रेकी हो रही है। पायलट्स इन्हें ऐसे इलाकों में लेकर उड़ रहे थे जहां ऑक्सीजन और हवा की डेन्सिटी दोनों बहुत कम रहे। इस रेकी के बाद मामले की गंभीरता को 8 MI-17 हेलिकॉप्टर्स को काम पर लगाया गया। इसके जरिए सेना की टुकड़ियों को ट्रांसपोर्ट करना, हथियार और कई जरूरी सप्लाई शामिल था। इसके अलावा घायल सैनिकों को एंगेजमेंट पॉइंट से लेकर वापस आना भी इन एयरक्राफ्ट्स के काम का हिस्सा था। सेना को युद्ध लड़ने के लिए जब वहां लगातार हथियारों की जरूरत थी लेकिन सड़क के रास्ते दुर्गम पाहड़ियों पर पहुंचाना संभव नहीं था तब. ये काम इंडियन एयरफोर्स कर रही थी।
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पहले तो थल सेना ही लड़ाई लड़ी लेकिन बाद में जरूरत पड़ने पर इन हेलिकॉप्टर्स को हथियारों से लैस कर भारतीय सीमा से दुश्मनों को भगाने के लिए भी इनका इस्तेमाल किया गया। ऐसे में सफद आसमान से बर्फीले पहाड़ों के बीच जब वायुसेना लगातार अपने मिशन में जुटी हुई थी, तो उस मिशन को ऑपरेशन 'सफेद सागर' का नाम दिया गया। हर कोई जानता है कि अगर इस ऑपरेशन में एयरफोर्स नहीं होता तो हमारे लिए मुश्किलें और बढ़ी होतीं। जमीन की लड़ाई के साथ-साथ हमें आसमान से भी लड़ाई में जुटना पड़ा। मिग-21, मिग-23 और मिग-27 जैसे फाइटर प्लेन्स को भी दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए लगाया गया।
भौगोलिक हालातों और बर्फीली पहाड़ियों के बीच इस मिशन को अंजाम देना आसान नहीं था लेकिन इंडियन एयरफोर्स ने हार नहीं मानी और अंत में मिराज 2000 फाइटर प्लेन को युद्ध में उतारा गया, जिसने कारगिल विजय को संभव बनाया। यही वजह है कि अब फिल्मों और वेबसीरीज के जरिए करगिल युद्ध के शौर्य की कहानी कहते हुए इंडियन एयरफोर्स के महत्व को भी रेखांकित किया जा रहा है। पहले वायुसेना पर ज्यादा फिल्में और सीरीज नहीं रही हैं लेकिन अब नेटफ्लिक्स ने एक शानदार पहल की है। उम्मीद है कि इस शो के जरिए इस मिशन के बारे में बहुत कुछ जानकारी लोगों तक पहुंचेगी।