Latest

40 बार रिजेक्शन , 41वी बार में सिलेक्शन क्या है वरुण चक्रवर्ती की पूरी कहानी !

Editor : 24 Adda Official | 16 March, 2025

40 बार गिरा… 41वीं बार उठा… और पूरी दुनिया को हिला दिया। ये सिर्फ़ एक क्रिकेटर की कहानी नहीं, ये उन लाखों सपनों की कहानी है जो रोज़ मरते हैं। वरुण चक्रवर्ती… नाम तो सुना होगा! लेकिन क्या आपने वो दर्द, वो संघर्ष, वो अधूरा सपना महसूस किया है, जो वरुण के हर असफल कदम के साथ चूर-चूर हो रहा था? क्या है वरुण चक्रवर्ती के संघर्ष की पूरी कहानी, जानने के

40 बार रिजेक्शन , 41वी बार में सिलेक्शन  क्या है वरुण चक्रवर्ती की पूरी कहानी !

Source or Copyright Disclaimer




40 बार गिरा… 41वीं बार उठा… और पूरी दुनिया को हिला दिया। ये सिर्फ़ एक क्रिकेटर की कहानी नहीं, ये उन लाखों सपनों की कहानी है जो रोज़ मरते हैं।  

वरुण चक्रवर्ती… नाम तो सुना होगा! लेकिन क्या आपने वो दर्द, वो संघर्ष, वो अधूरा सपना महसूस किया है, जो वरुण के हर असफल कदम के साथ चूर-चूर हो रहा था? क्या है वरुण चक्रवर्ती के संघर्ष की पूरी कहानी, जानने के लिए पढ़ाइये पूरी खबर 


जाने उनके बारे में...... 


 वरुण चक्रवर्ती का जन्म कर्नाटक के बिदार में हुआ था वरुण ने  तमिलनाडु के लिए डोमेस्टिक क्रिकेट खेला है इसके बाद वरुण का 40 बार सेलेक्शन हुआ और 40 बार  रिजेक्ट भी हुए । बल्लेबाज बने – फेल। गेंदबाज बन कर भी फेल हो गए । फिर वरुण ने विकेटकीपर बनने की सोची – और फिर फेल हो गए थे । इन सब से हारकर वरुण ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया और आर्किटेक्ट बन गए | फिर नौकरी मिली ज़िंदगी "सुरक्षित" हो गई, लेकिन कही न कही वरुण की आत्मा मर रही थी। उन्होंने 3 साल नौकरी करने के बाद एक दिन हिम्मत जुटाई और वरुण ने अपने पिता को फोन किया – "पापा, ये नौकरी हमसे नहीं हो रही… बस एक आखिरी बार क्रिकेट ट्राय करने दो। अगर इस बार फेल हुआ तो हमेशा के लिए छोड़ दूंगा।" पिता ने इजाज़त दे दी। तेज़ गेंदबाज बनने की कोशिश की – फिर असफल। अब आखिरी उम्मीद बची थी स्पिन बॉलिंग और उसी आखिरी उम्मीद ने आज वरुण चक्रवर्ती को वो खिलाड़ी बना दिया जिसके सामने दुनिया के एक से बढ़कर एक धुरंधर बल्लेबाज नतमस्तक हैं। 


आज खड़े हैं वो इस मुकाम पर


ये वरुण की ज़िंदगी की आखिरी बाज़ी थी। अगर इस बार भी हार गए होते वरुण ने तो क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया होता लेकिन हिम्मत नहीं हारी। स्पिन गेंदबाजी की बारीखी को सिखने के लिए खुद को झोंक दिया। खुद को तपाया और फिर खरा सोना बनकर सामने आए। फिर आया वो दिन, जब इतिहास लिखा गया। चैंम्पियंस ट्रॉफी का सेमीफ़ाइनल। ऑस्ट्रेलिया के सामने भारतीय गेंदबाज पस्त थे। शमी और पांड्या जैसे दिग्गज भी ट्रैविस हेड के तूफान को नहीं रोक पा रहे थे। टीवी स्क्रीन के सामने करोड़ों भारतीयों की सांसें अटकी हुई थीं। तभी कप्तान रोहित शर्मा ने गेंद थमाई उसी लड़के को जिसने कभी क्रिकेट छोड़ने का फैसला कर लिया था। दूसरी ही गेंद और सन्नाटा छा गया। ट्रैविस हेड, जिसने 2023 वर्ल्ड कप में भारत को हराया था… वही हेड, इस आर्किटेक्ट की स्पिन में फंस गया था। स्टंप उखड़ चुके थे… और भारत की जीत की कहानी लिखी जा चुकी थी। किसी ने कहा था, फेल होने के बाद सपने मत देखो… वरुण चक्रवर्ती की कहानी हर उस मिडिल क्लास लड़के की कहानी है, जो थक-हारकर ज़िंदगी की मार सहता है, जो सपनों और नौकरी की जंग में एक दिन क्लीन बोल्ड हो जाता है। लेकिन अगर हार ना माने और अपने सपनों को पाने के लिए एक बार फिर जुट जाए आखिरी बार जुट जाए तो उसका हर सपना पूरा होकर रहता है। सोचिए अगर वरुण हार मान लेता, तो आज वो भी किसी ऑफिस में बैठा होता, किसी बॉस की डांट सुन रहा होता, किसी टारगेट के पीछे भाग रहा होता। लेकिन उसने एक आखिरी बार खुद को मौका दिया। और आज पूरे देश का गर्व बन गया। इसीलिए कहते हैं कि सपनों की मौत मत होने दो। लड़ो, गिरो, उठो… लेकिन आखिरी बाज़ी खेलो। शाबाश वरुण… तुम सिर्फ़ एक क्रिकेटर नहीं, एक सबक हो। प्रेरणा हो उन तमाम युवाओं के लिए जो कहीं न कहीं आखिरी बाजी खेलने से चूक जाते हैं लेकिन शायद यह कहानी सुनकर उनमें भी जोश पैदा हो और वे भी आखिरी बाजी खेलने के लिए खुद को तैयार करें।