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उत्तर प्रदेश की सरकारी इमारतों का रंग अब सिर्फ रंग नहीं, बल्कि एक मिसाल बनेगा।

Editor : Anjali Mishra | 05 May, 2025

मुख्यमंत्री ने पशुपालन और दुग्ध विकास विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को साफ निर्देश दिए कि गोबर से बने पेंट प्लांट्स की संख्या प्रदेशभर में बढ़ाई जाए।

उत्तर प्रदेश की सरकारी इमारतों का रंग अब सिर्फ रंग नहीं, बल्कि एक मिसाल बनेगा।

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उत्तर प्रदेश की सरकारी इमारतें अब सिर्फ दीवारों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि वे बनेंगी देसी नवाचार की मिसाल।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लेते हुए आदेश दिया है कि अब प्रदेश के सरकारी दफ्तरों की दीवारें गाय के गोबर से बने प्राकृतिक पेंट से रंगी जाएंगी। साथ ही, मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के तहत ज़रूरतमंद परिवारों को गायें दी जाएंगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में न सिर्फ रोजगार बढ़ेगा, बल्कि महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त बनेंगी और दूध उत्पादन में भी ज़बरदस्त उछाल देखने को मिलेगा।


अब यूपी में सरकारी इमारतों की दीवारें भी बोलेगी ‘देसीपन’ की भाषा सीएम योगी का बड़ा ऐलान।

उत्तर प्रदेश की सरकारी इमारतों का रंग अब सिर्फ रंग नहीं, बल्कि एक मिसाल बनेगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक अनोखा और पर्यावरण के हित में बड़ा फैसला लेते हुए निर्देश दिए हैं कि अब प्रदेश की सरकारी इमारतों में गाय के गोबर से बने प्राकृतिक पेंट का इस्तेमाल किया जाएगा। यह न केवल जैविक होगा, बल्कि पूरी तरह देसी भी!

मुख्यमंत्री ने पशुपालन और दुग्ध विकास विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को साफ निर्देश दिए कि गोबर से बने पेंट प्लांट्स की संख्या प्रदेशभर में बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा "निराश्रित गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाना हमारा लक्ष्य है।" ऐसे केंद्रों में गोबर का उपयोग प्राकृतिक पेंट, जैविक खाद और अन्य गो-आधारित उत्पादों में हो, इसके लिए ठोस रणनीति बनाई जाए।


क्या है इस पेंट की खासियत?

अधिकारियों के मुताबिक यह प्राकृतिक पेंट पूरी तरह जैविक होता है, जिसमें कोई रासायनिक तत्व नहीं मिलाया जाता। यह पर्यावरण के लिए अनुकूल है, स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है और दीवारों को एक शानदार देसी लुक भी देता है। पारंपरिक पेंट की तुलना में इसकी लागत भी कम आती है और ऊर्जा की खपत भी बेहद कम होती है।


गोवंश के सहारे समृद्धि की राह

प्रदेश के 7693 गो आश्रय स्थलों में फिलहाल 11.49 लाख गोवंश का संरक्षण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इन केंद्रों पर केयरटेकर की तैनाती, वेतन भुगतान, हरा चारा, भूसा बैंक और पशु चिकित्सा सेवाओं की समुचित व्यवस्था की जाए। इतना ही नहीं, जिन गरीब परिवारों के पास पशुधन नहीं है, उन्हें 'मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना' के तहत गायें उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे न केवल उनके पोषण स्तर में सुधार होगा, बल्कि रोजगार और आमदनी का एक नया जरिया भी खुलेगा।


महिलाओं को मिलेगा नया संबल

सीएम योगी ने महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी की भी जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाएं गोबर से पेंट, खाद और अन्य जैविक उत्पाद तैयार कर आत्मनिर्भर बन सकती हैं। इस दिशा में बरेली जिले में इफ्को आवंला के सहयोग से विशेष संयंत्र लगाए जा रहे हैं।


दुग्ध क्षेत्र में रिकॉर्ड उत्पादन

प्रदेश में वर्ष 2024-25 में दुग्ध उत्पादन 3.97 लाख लीटर प्रतिदिन दर्ज हुआ। जो पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक है। इस क्षेत्र में ₹1120.44 करोड़ का टर्नओवर दर्ज किया गया, जो 16% की वृद्धि है। सरकार का लक्ष्य है कि 2025-26 तक 4922 नई सहकारी दुग्ध समितियां गठित हों और 21922 समितियों को प्रशिक्षण दिया जाए। साथ ही मंडल स्तर पर देसी नस्ल की गायों की प्रतियोगिताएं कराकर बेहतरीन गो-आश्रयों और उत्पादकों को सम्मानित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि गोवंश आश्रय केंद्र अब सिर्फ पशुओं की देखभाल तक सीमित न रहें, बल्कि ये नवाचार और ग्रामीण विकास के हब बनें। गोबर और गोमूत्र से जैविक उत्पाद बनाकर इन केंद्रों को आत्मनिर्भर और लाभकारी बनाया जा सकता है। इससे सरकार पर बोझ भी कम होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया बल मिलेगा।

मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना’ के तहत जिन परिवारों के पास कोई पशुधन नहीं है, उन्हें अब सरकार गाय उपलब्ध कराएगी। इससे न केवल उनका पोषण स्तर सुधरेगा, बल्कि दूध बेचकर वे आय अर्जित कर सकेंगे। यह योजना खासतौर पर ग्रामीण गरीबों के लिए आजीविका और सम्मान का नया रास्ता खोलेगी।


प्राकृतिक खाद और गोबर से बने जैविक उत्पादों के माध्यम से अब राज्य में जैविक खेती को भी मजबूती मिलेगी। किसान रासायनिक खाद और कीटनाशकों से बचते हुए अपने खेतों को सुरक्षित और उर्वर बना सकेंगे। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा और उपज की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए हैं कि मंडल स्तर पर देसी नस्ल की गायों की प्रतियोगिताएं कराई जाएं, ताकि लोगों में स्वदेशी नस्लों के प्रति आकर्षण बढ़े। इससे इन नस्लों का संरक्षण और संवर्धन होगा, जो न केवल कृषि बल्कि डेयरी क्षेत्र के लिए भी लाभदायक साबित हो सकता है।गोबर से बना पेंट महज एक उत्पाद नहीं, बल्कि ‘वोकल फॉर लोकल’ का प्रतीक है। जब सरकारी भवनों की दीवारें देसी रंगों से सजेंगी, तो आम नागरिकों को भी देसी उत्पादों की उपयोगिता का एहसास होगा। यह आत्मनिर्भर भारत की सोच को धरातल पर उतारने का एक ठोस प्रयास है।मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट किया है कि महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी को और बढ़ाया जाए। गोबर से खाद, पेंट, धूपबत्ती, बायोगैस जैसे उत्पाद तैयार करके महिलाएं अपने गांव में ही छोटे उद्योग खड़ा कर सकती हैं। इससे उनका आत्मविश्वास और आय दोनों बढ़ेंगे।प्रदेश के सभी गोआश्रय स्थलों पर सीसीटीवी निगरानी, पशु स्वास्थ्य रिकॉर्ड और चारा प्रबंधन की डिजिटल ट्रैकिंग से गोसेवा का यह अभियान तकनीक से भी सुसज्जित हो रहा है। यह पारदर्शिता और कार्यकुशलता को बढ़ाएगा, जिससे हर गाय को समय पर देखभाल मिल सकेगी।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह पहल न केवल उत्तर प्रदेश को एक नई दिशा दे रही है, बल्कि यह देश के लिए एक मॉडल बन सकती है। गाय आधारित अर्थव्यवस्था जिसमें दुग्ध उत्पादन, गोबर से बने उत्पाद और जैविक खेती हो देश को सतत विकास के रास्ते पर ले जा सकती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह पहल न सिर्फ उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक सोच को पर्यावरण के अनुकूल दिशा में मोड़ रही है, बल्कि यह एक ऐसी सामाजिक-आर्थिक क्रांति की शुरुआत है, जिसमें गोवंश संरक्षण, ग्रामीण स्वावलंबन और जैविक विकास तीनों का संतुलित समावेश है। गाय, जो भारतीय संस्कृति का आधार रही है, अब आर्थिक बदलाव की धुरी बन रही है। गोबर से पेंट हो या महिलाओं के स्व-सहायता समूहों की भागीदारी यह योजना गांव, गौ और गरीबी के त्रिकोण को जोड़कर आत्मनिर्भर भारत की नींव को और मजबूत बना रही है। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि ‘गो अर्थव्यवस्था’ के जरिए उत्तर प्रदेश को एक नई पहचान देने की दिशा में निर्णायक कदम है।