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कौन होते हैं जंगम जोगी, भगवान शिव से क्यों जुड़ी है इनकी कहानी

Editor : 24 Adda Official | 22 January, 2025

प्रयागराज में संगम की पावन धरती पर महाकुंभ के आयोजन में हर पंथ और संप्रदाय के साधु-संत अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. इस बार महाकुंभ का विशेष आकर्षण जंगम जोगी हैं, जिनकी परंपराएं और अनूठी वेशभूषा श्रद्धालुओं के लिए चर्चा का विषय बनी हुई हैं. शिव भक्ति में लीन ये जोगी देशभर के साधुओं से भिक्षा लेकर अपनी परंपराओं को जीवित रखते हैं.

कौन होते हैं जंगम जोगी, भगवान शिव से क्यों जुड़ी है इनकी कहानी

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प्रयागराज में संगम की पावन धरती पर महाकुंभ के आयोजन में हर पंथ और संप्रदाय के साधु-संत अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. इस बार महाकुंभ का विशेष आकर्षण जंगम जोगी हैं, जिनकी परंपराएं और अनूठी वेशभूषा श्रद्धालुओं के लिए चर्चा का विषय बनी हुई हैं. शिव भक्ति में लीन ये जोगी देशभर के साधुओं से भिक्षा लेकर अपनी परंपराओं को जीवित रखते हैं.


जंगम जोगी भगवान शिव व दशनाम जूना अखाड़ा के पुरोहित होते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जंगम की उत्पत्ति भगवान शिव के विवाह के समय हुई थी।शिव की जांघ से उत्पत्ति की पौराणिक कथा है बेहद रोचक है।


शिव-पार्वती विवाह के दौरान जब भगवान शिव ने विवाह की रस्मो को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु और ब्रह्मा को दक्षिणा देने का प्रयास किया तब उन्होंने दक्षिणा लेने के लिए मना करा दिया, जिसके बाद भगवान शिव ने अपनी जांघों से कुछ जोगियों को उत्पन्न किया था।

भगवान शिव की जांघों से पैदा होने के कारण यह जंगम जोगी कहलाए। शिव जी ने जंगम जोगियों को दक्षिणा दी और इन्हीं के द्वारा विवाह की सभी रस्मों को पूरा किया गया। ऐसा माना जाता है कि जंगम जोगी नहीं होते तो भगवान शिव का विवाह संपन्न न्हीओं हो पाता।

वहीं कुरुक्षेत्र की जंगम जोगी बिरादरी में यह प्रथा है कि हर परिवार से किसी एक सदस्य को साल में एक बार महाशिवरात्रि के अवसर पर दो दिन के लिए जंगम बनना पड़ता है।


जंगम जोगी शैव परंपरा से जुड़े होते हैं और इन्हें शिवजी की जांघ से उत्पन्न माना जाता है। इनकी वेशभूषा में दशनामी पगड़ी, गेरुआ लुंगी और कुर्ता शामिल होते हैं, इनके हाथ में एक विशेष घंटीनुमा यंत्र होता है, जिसे 'टल्ली' कहा जाता है।

जंगम जोगी कभी भी माया से जुड़ी वस्तुएं जैसे कि धन-वस्त्र आदि को अपने हाथों में नहीं लेते हैं। तो केवल अपनी टोकरी रूपी टल्ली में ही धन को दान के रूप में लेते हैं। कथा अनुसार, भगवान शिव ने इन्हें मोह-माया त्यागने का आदेश दिया था। इनकी विशेष शैली ने इन्हें श्रद्धालुओं और अन्य साधुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बना दिया है।…


 ये जोगी शिव भक्ति से जुड़े भजन गाकर अन्य साधुओं से भिक्षा मांगते हैं। 10 से 12 जोगियों का ये दल महाकुंभ मेले में घूम-घूमकर जंगम जोगियों की परमपराओं को लोगों तक पहुंचाता है।

जोगियों की परंपरा में हर परिवार से एक सदस्य साधु बनता है, जिससे यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी निरंतर चलती रहती है। देशभर में इनकी संख्या 5 से 6 हजार के बीच है। महाकुंभ में इनकी भक्ति और परंपराओं ने श्रद्धालुओं का दिल छू लिया है।


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