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ऑपरेशन सिंदूर के बाद राज्यों को अमित शाह का क्लियर संदेश!

Editor : Shubham awasthi | 09 May, 2025

हाल ही में, भारत के गृह मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को पत्र लिखकर सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 के तहत आपातकालीन शक्तियों को लागू करने का निर्देश दिया है.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद राज्यों को अमित शाह का क्लियर संदेश!

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सिविल डिफेंस, जिसे हिंदी में नागरिक रक्षा कहा जाता है, एक ऐसी व्यवस्था है जो युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, आतंकी हमलों, या अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में नागरिकों और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। भारत में सिविल डिफेंस का ढांचा सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 के तहत स्थापित किया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य आपातकालीन परिस्थितियों में नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ राहत, बचाव, और पुनर्वास कार्यों को सुचारु रूप से संचालित करना है।

सिविल डिफेंस की अवधारणा भारत में स्वतंत्रता के बाद विशेष रूप से प्रासंगिक हो गई, जब 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध ने देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां प्रस्तुत कीं। उस समय, सरकार ने यह महसूस किया कि युद्धकालीन परिस्थितियों में केवल सैन्य बल ही पर्याप्त नहीं होंगे; नागरिकों को भी आपातकालीन तैयारियों में शामिल करना होगा। इसीलिए सिविल डिफेंस संगठन स्थापित किए गए, जो स्वयंसेवकों और प्रशासन के सहयोग से काम करते हैं।

आज, सिविल डिफेंस का दायरा केवल युद्धकालीन परिदृश्यों तक सीमित नहीं है। यह प्राकृतिक आपदाओं (जैसे भूकंप, बाढ़, और चक्रवात), आतंकी हमलों, और अन्य मानव-निर्मित संकटों से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गृह मंत्रालय का हालिया निर्देश इस ढांचे को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।



क्यों उठाया गया यह कदम? भारत-पाकिस्तान तनाव: हाल के महीनों में, नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में वृद्धि हुई है। सीमा पर गोलीबारी और घुसपैठ की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसने भारत की रक्षा और सुरक्षा नीतियों को और सतर्क कर दिया है। पहलगाम आतंकी हमला: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत और कई अन्य के घायल होने की घटना ने देश को झकझोर दिया। इस हमले ने न केवल आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि यह भी दर्शाया कि आतंकवाद से निपटने के लिए मजबूत आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र की आवश्यकता है।


नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल: 7 मई 2025 को आयोजित राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल इस निर्देश का एक हिस्सा थी। इस ड्रिल का उद्देश्य आपातकालीन तैयारियों का परीक्षण करना और नागरिकों को संभावित खतरों के प्रति जागरूक करना था। युद्धकालीन परिदृश्यों में, नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना और रात के समय ब्लैकआउट लागू करना महत्वपूर्ण है। ब्लैकआउट का उद्देश्य दुश्मन के हवाई हमलों से बचाव करना है, क्योंकि रोशनी विमानों के लिए लक्ष्य को आसान बना सकती है।

हवाई हमले के सायरन और चेतावनी प्रणाली सिविल डिफेंस संगठन हवाई हमले के सायरन बजाने और चेतावनी प्रणालियों को सक्रिय करने के लिए जिम्मेदार हैं। ये प्रणालियां नागरिकों को समय पर सूचित करती हैं ताकि वे सुरक्षित स्थानों पर पहुंच सकें।

सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों और स्थानीय प्रशासन को आपातकालीन स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। मॉक ड्रिल इस प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो वास्तविक आपातकाल के लिए तैयारियों का परीक्षण करते हैं सूचना और मार्गदर्शन केंद्र: आपातकालीन स्थिति में, गायब व्यक्तियों, घायलों, और प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए सूचना केंद्र स्थापित किए जाते हैं। ये केंद्र नागरिकों को महत्वपूर्ण जानकारी और संसाधन प्रदान करते हैं।


नागरिक सुरक्षा नियम, 1968 क्या हैं?

नागरिक सुरक्षा अधिनियम के तहत बनाए गए नागरिक सुरक्षा नियम, 1968 को भारत की नागरिक आबादी और बुनियादी ढांचे को शत्रुतापूर्ण हमलों का जवाब देने के लिए तैयार किया गया था-चाहे वे हवाई, जमीन, समुद्र या अन्य माध्यमों से हों.नियम केंद्र और राज्य सरकारों को हमले होने से पहले ही निवारक, सुरक्षात्मक और नियंत्रण उपाय करने और ऐसी घटनाओं के दौरान और बाद में जवाब देने के लिए व्यापक अधिकार प्रदान करते हैं.


आपातकालीन शक्तियों को लागू करने के लिए क्यों कहा गया?

पाकिस्तान ने 8 मई की देर रात जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के प्रमुख क्षेत्रों में ड्रोन और मिसाइलों को लॉन्च किया. श्रीनगर, पठानकोट, अमृतसर और जम्मू शहर जैसे प्रमुख स्थानों को निशाना बनाया गया. हालांकि, भारत के एकीकृत काउंटर-यूएएस ग्रिड और एस-400 ‘सुदर्शन चक्र’ वायु रक्षा प्रणाली, अधिकांश आने वाले खतरों को सफलतापूर्वक रोक दिया गया.


क्या है नागरिक सुरक्षा नियमों के तहत आपातकालीन शक्तियां?

गृह मंत्रालय के पत्र में नागरिक सुरक्षा नियम, 1968 की धारा 11 के तहत आपातकालीन शक्तियों के प्रयोग को कहा गया है।इसके तहत राज्य सरकारों को आपात स्थितियों में लोगों और संपत्तियों को नुकसान या क्षति से बचाने के लिए त्वरित कार्रवाई करने का अधिकार मिलता है।

यह भी सुनिश्चित करता है कि बिजली, जलापूर्ति और परिवहन सहित आवश्यक सेवाएं ऐसे संकट के दौरान भी निर्बाध रूप से चलती रहें। इन शक्तियों का उपयोग करते समय, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ये उपाय केवल जनहित में और आपातकालीन परिस्थितियों में लागू किए जाएंगे। साथ ही, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय को मजबूत करने पर जोर दिया गया है, ताकि इन शक्तियों का प्रभावी और पारदर्शी ढंग से उपयोग हो